बसंत पंचमी के दिन पीले फूलों से करें मां सरस्वती की पूजा

“बसंत पंचमी के दिन पीले फूलों से करें मां सरस्वती की पूजा”

जानिए बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा क्यों की जाती है ।

   
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से उपासक कुशाग्र बुद्धि के होते हैं और माता की प्रेरणा से उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में कई परेशानियों पर विजयश्री मिल जाती है । पूजन में सरस्वती जी को समर्पित मंत्रों का जोर से उच्चारण भी करना चाहिए

विद्या की देवी सरस्वती अध्ययन के साथ-साथ कला व संगीत की भी अधिष्ठात्री हैं । यदि किसी मुर्ख पर भी उनकी कृपा बरस जाए, तो वह व्यक्ति महा विद्वान हो जाता है । आदिकाल से ही इनकी आराधना होती आई है । वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा का विशेष महात्म्य है । वैसे तो वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु का आरंभ होता है । इसलिए इसे आनंद और खुशी का प्रतीक दिवस भी माना जाता है । पुराणों के अनुसार माता सरस्वती सृष्टि निर्माता प्रजापति ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है । वह हंस वाहिनी, चार भुजाओं वाली वीणा-पुस्तक धारिणी, कमलासन पर विराजने वाली है । हमारे वेदों-पुराणों में सरस्वती व सरस्वती पूजन का विस्तृत उल्लेख मिलता है । वेदों में सरस्वती को संस्कृत भाषा की जननी कहा गया है । इसी वजह से उनका एक नाम वाच भी है । हमारे देश में सरस्वती नदी भी बहती थी और आज भी माना जाता है कि सरस्वती नदी की धारा जमीन के नीचे बहती है । वसंत पंचमी के दिन वृक्षों पर नव पल्लव पुष्प, मोहक सुगंध विखेरने लगते हैं । पीले फूलो, पीले वस्त्र धारण कर आम की मंजरी, पीली मिट्टी, पत्तों, पीले चंदन, धुप-दीप, नैवेद्य से सरस्वती देवी की पूजा की जाती है । इनकी पूजा के दौरान इन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है,

ॐ सरस्वत्यै नमः, ॐ ऐं ॐ ।

इन मंत्रों के जप से सरस्वती माता को प्रसन्न किया जाता है । यह मंत्र उपासक की विद्या और बुद्धि बढ़ाते हैं । साथ ही इनकी आरती शुक्ला ब्रह्मचारिणी वीणा पुस्तक धारिणी या श्वेतपद्मासना अदि संस्कृत श्लोको से की जाती है । सरस्वती माता अपने आभूषणो, वस्त्रों आदि से कई संदेश भी देते हैं । उनके हाथों की वीणा और पुस्तकें विद्या की धोतक है । श्वेत रंग, श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित, श्वेत कमल पर विराजित, श्वेत हंस वाहन वाली, सिर मुकुट, कानों में कुण्डल, गले में हार- उपग्रीव, बाहों में बाहुबंध, हाथों में कंगन, उंगलियों में अंगूठियां, कमर में कटि सूत्र, पैरों में नूपुर धारण किए हुए मां सरस्वती सर्वत्र ज्ञान का प्रसार करती हैं ।

कई प्रदेशों में महिलाएं इस दिन सरस्वती व गौरी का विधिवत पूजन करती हैं । सरस्वती पूजा के दिन विद्यार्थी अपने अध्ययन की किताबें, कलम और अन्य अध्ययन से जुड़ी वस्तुएं मां सरस्वती के सामने रखकर उनका षोडशोपचार पूजन करते हैं । दरअसल सरस्वती मां दुर्गा का ही स्वरूप है और वसंत पंचमी उनकी पूजा करने से उपासक की बौद्धिक उन्नति होती है । मां सरस्वती के ध्यान के लिए कई मंत्र उपलब्ध हैं । पर आप इनके ध्यान के लिए

घंटा शूल हलानि शंखमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दघतीं धनान्त विल सच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्।
गौरीदेह !समुद्भवा त्रिनयनामांधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वती मनुमजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्॥

इस मंत्र का जप कर सकते हैं ।

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