नैतिक कहानी: राधिका की शिकायत

हाथों में फूलों का गुलदस्ता थामते हुए मन्नू ने कहा, ‘हैप्पी मदर्स डे । मम्मा !’ थैंक्यू बेटा, मां ने प्यार से कहा और बोली, ‘बिलकुल मुझ पर गया है । एक आप हैं, पिछले दस साल से एक फूल भी मुझे भेट नहीं किया ।’ राधिका की बात को बिल्कुल अनसुना करते हुए जे के ने चाय की चुस्की ली और अख़बार से बिना नजरें हटाए बोले, ‘हूं ।’

राधिका सोफे से उठी और खिड़की के परदे हटाने लगी । तभी उसकी नजर सामने वाले मकान में बालकनी पर गई, जहां मिसेज खन्ना का नौकर उनके बच्चे को हाथ में लिए टहल रहा था । देखिए, अब राधिका फिर से जे के की ओर मुखातिब हुई, मिसेज खन्ना ने अपने बेबी के लिए एक नौकर भी रखा है । और एक आप हैं, जो कहते हैं की हमें अपना काम खुद ही करना पड़ता है । अरे वो तो शुक्र है भगवान का कि आपको सद्बुद्धि दी और आपने बर्तन- पोंछे के लिए मेड रख ली हैं । वरना ये भी मुझे ही करना पड़ता ।’

अब जे के का पारा चढ़ गया । वह बोले, ‘बेटे से जरा पूछो कि उसे मदर्स डे के वारे में किसने बताया । और तुम्हे बच्चे का नौकर दिख रहा है । लेकिन उस मासूम का रोना नहीं सुनाई दे रहा है । कई घंटों से वह अपनी मां को ही ढूंढ रहा है । ऐसी लापरवाह मां बन कर भी क्या फायदा कि बच्चे का ज्यादातर समय रोने में ही बीत जाए ।’ अब जे के उठे और आपने ऑफिस की तैयारी में लग गए । सारी बातें सुन कर राधिका को लगा कि वह कुछ ज्यादा ही बोल पड़ी थी । नास्ते की टेबल पर पराठा परोसते हुए वह धीमे से बोली, ‘सॉरी जी । आप ने जो भी सोचा ठीक सोचा ।’ जे के मुस्कारते हुए नाश्ता करने लगे ।

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