Adhyatmik drishtant : जिंदिगी एक नाटक है

raja harishchandra

राजा हरिश्चंद्र ने जब अपना राज्य विश्वामित्र को दान दे दिया तब राजा हरिश्चंद्र की रानी तारा कहने लगी राजन हमने तो राज्य का पूरा सुख लिया ही नहीं और आपने दान कर दिया । तब राजा ने कहा हे रानी! जब राज हमारे पास था हम राज्य का नाटक करते रहें । यह राज्य पहले ही हमारा नहीं था और आगे भी हमारा नहीं रहेगा । हम राज्य का दान करके हम सब चिंताओं से मुक्त हो गए हैं । जितना समय हमने राज्य करना था वह पूरा हो…

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