शल्य चिकित्सा के जनक थे भगवान धन्वंतरि

शल्य चिकित्सा के जनक थे भगवान धन्वंतरि

आयुर्वेद और शल्य चिकित्सा के जनक थे भगवान धन्वंतरि

वेदों और पुराणों में दुनिया के पहले शल्य चिकित्सक के रूप में भगवान धन्वंतरि की ही पूजा की जाती है।

पुराणों में कथा है कि परमपिता, सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी ने मनुष्यों की रचना की। उन्होंने आयुर्वेद का ज्ञान सबसे पहले अपने पुत्र दक्ष को दिया।

दक्ष प्रजापति ने यह ज्ञान अश्विनी कुमारों को दी। फिर देवराज इंद्र ने यह विद्या सीखी और फिर इंद्र ने महर्षि धन्वंतरि को विद्या प्रदान की। इन्हें विष्णु का अवतार भी कहा जाता है।

एक कथा यह भी है कि प्राणियों को रोगों से मुक्त करने और असमय मृत्यु पर विजय पाने के लिए स्वयं भगवान विष्णु चतुर्भुज स्वरूप में प्रकट हुए थे। वे पीतांबर धारण किए हुए थे और अमृत घट, कमल और आयुर्वेद ग्रंथ उनके हाथों में थे।

आयुर्वेद में आज भी दो ग्रंथ है। एक कार्य चिकित्सा यानि चरक संहिता, जिसमें दवा उपचार से रोगों का निवारण किया जाता है। इसे महर्षि भारद्वाज के दो शिष्यों आतेय एवं पुनर्वसु ने लिखा है।

दूसरा शल्य चिकित्सा जिसमें यंत्रों द्वारा रोगों का निदान किया जाता है, को सुश्रुत संहिता कहा जाता है। सुश्रुत, महर्षि धन्वंतरि के शिष्य थे और उन्होंने महर्षि के उपदेशों को सुनकर इस ग्रंथ की रचना की।

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