Durga Saptashati Path: कल्याणकारी है दुर्गा सप्तशती पाठ

दुर्गा सप्तशती पाठ: महत्व, विधि और लाभ

नवरात्र के दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष लाभदायी माना जाता है।

दुर्गा सप्तशती (जिसे चंडी पाठ भी कहा जाता है) हिन्दू धर्म में शक्ति साधना का महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह मार्कंडेय पुराण के अंतर्गत आता है और इसमें 700 श्लोक होते हैं। इस ग्रंथ का पाठ करने से व्यक्ति को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के समस्त संकट समाप्त होते हैं।

नवरात्र के दौरान मां भगवती की आराधना में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना विशेष फलदाई माना जाता है। कई भक्त कलश स्थापना के साथ इसका प्रतिदिन सुबह – शाम पाठ करते हैं और ऐसे भक्त भी होते हैं, जो नियम पूर्वक केवल दुर्गा सप्तशती का ही पाठ करते हैं। इस पवित्र पुस्तक का पाठ करना वाकई लाभप्रद माना जाता है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ समस्त मनोकामनााओं का पूरक,अनिष्ट नाशक है।

यह देवी महात्म्य धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, पुरुषार्थ चतुष्टय देने में समर्थ है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति दैनिक अथवा नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों का श्रद्धा, विश्वास, नियम संयम तथा ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए विधिवत पाठ करता है, उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है। साथ ही वह नवरात्र के अलावा दैनिक जीवन में भी इसी नियम का अनुसरण करता है, तो उसकी कीर्ति फैलती है और लक्ष्मी सदा उसके साथ विराजमान रहती हैं। यदि दुर्गा सप्तशती के पाठ में कुछ सिद्ध मंत्रों का संपुट लगाकर पाठ किया जाए, तो जल्दी ही अभीष्ट की प्राप्ति होती है। दुर्गा सप्तशती के सभी अध्यायों का पाठ करने से पहले अष्टोत्तर शतनाम स्त्रोत कवच, अर्गला, कीलक, आदि का भी पाठ करना चाहिए। मां को समर्पित यह पाठ ओज, साहस, पौरुष, वीरता एवं समस्त सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। यदि आपके पास समय कम है, तो दुर्गा सप्तश्लोकी का पाठ करने से दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल मिलता है।

दुर्गा सप्तशती पाठ: महत्व, विधि और लाभ

दुर्गा सप्तशती (जिसे चंडी पाठ भी कहा जाता है) हिन्दू धर्म में शक्ति साधना का महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह मार्कंडेय पुराण के अंतर्गत आता है और इसमें 700 श्लोक होते हैं। इस ग्रंथ का पाठ करने से व्यक्ति को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के समस्त संकट समाप्त होते हैं।

दुर्गा सप्तशती का स्वरूप

यह ग्रंथ तीन भागों में विभाजित है, जो देवी के तीन स्वरूपों को दर्शाते हैं:

1. प्रथम चरित्र (माध्य्मिक देवी महाकाली का रूप)

– इसमें **मधु-कैटभ** नामक असुरों का वध होता है।

– यह पाठ नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाने वाला है।

2. मध्य चरित्र (महालक्ष्मी स्वरूप)

– इसमें महिषासुर का वध होता है।

– यह समृद्धि, धन, और ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

3. उत्तर चरित्र (महासरस्वती स्वरूप)

– इसमें शुम्भ-निशुम्भ सहित कई राक्षसों का संहार होता है।

– यह ज्ञान, बुद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।

दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय और उनके लाभ

अध्याय कथा लाभ
1 राजा सुरथ और वैश्य की कथा मन की चंचलता समाप्त होती है
2-4 महाकाली द्वारा मधु-कैटभ वध भय, असुरक्षा और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
5-10 महिषासुर मर्दिनी की कथा धन, ऐश्वर्य, विजय और शक्ति प्राप्त होती है
11-13 शुम्भ-निशुम्भ वध आत्मबल, ज्ञान और सिद्धि प्राप्त होती है

दुर्गा सप्तशती पाठ करने की विधि

  1. शुद्धता बनाए रखें – स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. नियत स्थान पर बैठें – पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।

  3. दीपक जलाएं – घी का दीप जलाकर देवी की मूर्ति या चित्र के सामने रखें।

  4. नवार्ण मंत्र का जप करें
    “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” (108 बार जप करें)

  5. संकेत अनुसार संपूर्ण या आंशिक पाठ करें
    – संपूर्ण 13 अध्याय पढ़ें (यदि संभव हो)।
    – यदि पूरा पाठ संभव न हो, तो कवच, अर्गला स्तोत्र, कीलक स्तोत्र अवश्य पढ़ें।

  6. आरती और प्रसाद अर्पण करें – दुर्गा माता की आरती कर प्रसाद वितरण करें।

दुर्गा सप्तशती पाठ करने के नियम

✔ इसे नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या या विशेष योग में करना अति शुभ होता है।
✔ ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में पाठ करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
✔ महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान यह पाठ नहीं करना चाहिए।
✔ सात्विक आहार और संयम का पालन करना चाहिए।
✔ पाठ को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए, वरना दोष लग सकता है।

विशेष उद्देश्य के लिए दुर्गा सप्तशती पाठ

(1) संकट से मुक्ति के लिए – दुर्गा सप्तशती के 11वें और 13वें अध्याय का पाठ करें।

(2) शत्रु नाश के लिए – सप्तशती के 8वें अध्याय का पाठ करें।

(3) धन प्राप्ति और व्यापार वृद्धि के लिए – श्री सूक्त और सप्तशती का 4-9वां अध्याय पढ़ें।

(4) स्वास्थ्य लाभ के लिए – सप्तशती का 12वां अध्याय पढ़ें।

(5) रोग निवारण के लिए – दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जल में अभिषेक करें और पियें।

(6) संतान प्राप्ति के लिए – सप्तशती का 5वां और 11वां अध्याय पढ़ें।

(7) विद्या और बुद्धि वृद्धि के लिए – सप्तशती का 1, 2 और 13वां अध्याय पढ़ें।

क्या सप्तशती पाठ घर में कर सकते हैं?

-हाँ, लेकिन कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए:

-पाठ के दौरान घर में शांति और पवित्रता बनाए रखें।

-पाठ के बाद हवन या आरती करना शुभ माना जाता है।

-यदि घर में कोई गंभीर संकट हो तो किसी योग्य ब्राह्मण से पाठ करवाना अच्छा रहता है।


सप्तशती पाठ के साथ अन्य शक्तिशाली स्तोत्र

यदि पूरे सप्तशती पाठ के लिए समय न हो, तो निम्नलिखित स्तोत्र पढ़ सकते हैं:

देवी कवच – यह पाठ सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है।

अर्गला स्तोत्र – यह पाठ इच्छाओं की पूर्ति करता है।

कीलक स्तोत्र – यह पाठ सभी बाधाओं को समाप्त करता है।

दुर्गा चालीसा – सप्तशती का संक्षिप्त रूप माना जाता है।

श्री दुर्गा सप्तश्लोकी – सप्तशती का सारांश है, यह प्रतिदिन पढ़ा जा सकता है।


दुर्गा सप्तशती पाठ के अद्भुत प्रभाव

✅ मानसिक तनाव और अवसाद से मुक्ति
✅ आत्मबल और साहस में वृद्धि
✅ आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति भाव बढ़ता है
✅ रोगों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
✅ इच्छाओं की पूर्ति और सफलता प्राप्त होती है

“यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं, तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्।”
(जहाँ-जहाँ देवी दुर्गा का स्मरण होता है, वहाँ-वहाँ उनके भक्तों को दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।)

अर्गला एवं अष्टोत्तर शत नाम का महात्म्य

देवी पार्वती कहती है कि जो प्राणी मेरे अष्टोत्तर शत नाम का नियमित पाठ करता है, उसके लिए संसार में कुछ भी असंभव या असाध्य नहीं है। जो नवरात्र में या प्रतिदिन मेरे नौ स्वरूपों का ध्यान कर कवच का पाठ करता है। उसे मान – सम्मान, यश, लक्ष्मी की वृद्धि होने के साथ-साथ देवी कृपा भी मिलती है।

विघ्न नाश के लिए सिद्ध मंत्र :

सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य समन्वितः। मनुष्योमत्प्रसादेंन भविष्यति न संशयः।।

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