अष्टान्हिका महापर्व क्या है? संसार सागर से पार होने के लिए नौका के समान सबल निमित्त है भक्ति। भक्ति भी वह, जो समीचीन, दृढ़ और यथार्थ हो। जैन श्रावक भक्तिभावपूर्वक अपार श्रद्धा से ‘अष्टान्हिका पर्व’ में सिद्धचक्र महामण्डल विधान करते हैं। इसे करके व्यक्ति अपने जीवन को धन्य मानते हैं। जैन श्रावक के षट्कर्तव्यों में देवपूजा मुख्य कर्तव्य है। जैनाचार्य पूज्य कुंदकंद स्वामी, समंतभद्रस्वामी, उमास्वामी, पुष्पदंत, वीरसेनाचार्य, जिनसेन आदि ने देवपूजा का विभिन्न ग्रंथों में उल्लेख किया है। देवोपासना के लिए संयमपूर्वक भक्ति एवं साधना को ही प्रशस्त माना गया…
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सुख दे वर दे हरतालिका तीज
यह व्रत कुंवारी लड़कियां इच्छित वर पाने एवं विवाहिताएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए करती हैं यह व्रत भारत वर्ष में पर्व-त्योहारों में तीन तिजें प्रमुख है – हरियाली तीज, कजली तीज और हरतालिका तीज । पर हिंदू धर्म में हरतालिका तीज की व्यापकता सबसे अधिक है और इसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है । कहते हैं भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए पार्वती जी ने करीब सौ वर्षों तक कठिन साधना और तपस्या की । उन्होंने तीज व्रत का अनुष्ठान भी किया…
Read Moreसावन में करें त्रिपुर सुंदरी साधना
श्रावण मास में शिव कृपा पाने के लिए भक्त कई तरह की पूजा करते हैं । इस दौरान यदि माता त्रिपुर सुंदरी की आराधना की जाए, तो भक्त कई परेशानियों से मुक्त हो सकते हैं । मां त्रिपुर सुंदरी पार्वती का ही रूप है और इन्हें प्रसन्न करने का अर्थ है, शिव कृपा की प्राप्ति श्रावण मास यानी पूजा पाठ एवं शिव आराधना का महीना । इस दौरान शिवजी की स्तुति करने से भक्तों के जीवन में खुशहाली आती हैं और उनके राह की बाधाएं भी दूर होती हैं ।…
Read MoreNirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी व्रत के करने से मिलता है मोक्ष
जानिए निर्जला एकादशी व्रत का महत्व सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी का सर्वाधिक महात्म्य है । इसे करने से उपासक को आरोग्य तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है । साथ ही उन्हें अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है । जेष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी अथवा भीमसेनी एकादशी कहते हैं। एकादशी व्रत में स्नान और आचमन के अलावा जरा सा भी जल ग्रहण नहीं किया जाता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। एकादशी के दिन सूर्योदय से लेकर द्वादशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान…
Read Moreरामनवमी 2023: राम में ही समाया सारा जग
भगवान श्री राम केवल भारत ही नहीं, अपितु सारे जग के आदर्श कहीं जाते हैं । उनका केवल नाम लेना ही भक्तों के सारे कष्ट हर लेता है । रामनवमी के दिन उनकी विधिवत पूजा करने से भक्तों का आत्मबल बढ़ता है रामनवमी को केवल देवी के नौवें रूप के अवतरण ही नहीं, बल्कि भगवान श्री राम के पृथ्वी पर अवतरण के दिन के रूप में भी जाना जाता है । श्री राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था । यह दिन नवरात्र…
Read Moreमां दुर्गा की आराधना पूरी हर कामना
नव दुर्गा व्रत वर्ष में चार बार पड़ता है। दो गुप्त नवरात्र और दो प्रकट । आज से गुप्त नवरात्र शुरू हो रहे हैं। सिद्धि प्राप्ति के लिए विशेष माने जाते हैं। नवरात्र ऐसी अवधि होती है,जिसमें यदि पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ आद्यशक्ति मां दुर्गा की उपासना की जाए, तो उपासक का जीवन सरल हो जाता है। दरअसल इस काल में उनकी समस्त शक्तियां जागृत होकर नव ग्रहों को नियंत्रित करते हुए मानव कल्याण तथा उनके कष्टों के निवारण कार्य करती हैं। धर्म व धर्मग्रंथों में साल में…
Read Moreशक्ति की पूजा है कन्या पूजन
नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि को कन्याओं के पूजन की परंपरा है । इस दिन 2 से 10 साल की कन्याओं को भोजन कराने, वस्त्र आदि देने की परंपरा है । कन्या पूजन शक्ति पूजन का भी एक रूप है नवरात्र में पूजन व व्रत के साथ-साथ कुमारी कन्या के पूजन का विशेष महत्व है । ऐसा माना जाता है कि यदि भक्त कुमारी कन्या का पूजन नहीं करते, तो नवरात्र व्रत और पूजन का फल प्राप्त नहीं होता है । नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि के दिन…
Read Moreसंतान के रोग दूर करें मां शीतला
माता शीतला की विधि विधान से आराधना करने से न सिर्फ रोग दूर होते हैं, बल्कि भक्तों को निरोगी जीवन व स्वच्छता की प्रेरणा भी मिलती है चैत्र मास की कृष्ण सप्तमी और श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तिथि को मनाई जाने वाली शीतला सप्तमी को शास्त्रों में शुभ व फलदाई माना गया है । इस पुण्यतिथि पर बच्चों में होने वाले चेचक व छोटी माता के प्रकोप से बचाने के लिए श्रद्धालु विधि-विधान के अनुसार पूजन करके उपवास रखकर प्रसन्न करने का यत्न करते हैं । मां शीतला देवी…
Read MorePapmochani Ekadashi :पापमोचनी एकादशी का महत्व व व्रत विधि
जन्म संवारे पापमोचनी एकादशी वर्ष की 24 एकादशियों में से एक पापमोचन एकादशी केवल कामना सिद्धि करने का नहीं, बल्कि पापों का शमन करने का भी अनुष्ठान है चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी पापमोचनी एकादशी के नाम से जानी जाती है । शास्त्रों में इस एकादशी को समस्त पापों और तापों से मुक्त करने वाला कहा गया है। पुराणों और स्मृतियों में भी वर्णित है कि भगवान श्री कृष्ण, अर्जुन से कहते हैं, “हे कौंतेय इस संसार में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसके द्वारा जाने-अनजाने में कोई पाप…
Read Moreहोलिका दहन के दौरान करें ये लाभकारी प्रयोग
होलिका दहन का विशेष महत्व- रंगो का त्योहार कहा जाने वाला होलिकोत्सव पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है । पहले दिन यानि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं । मान्यता है कि इससे दुष्ट आत्माओं का नाश होता है और वातावरण में शुद्धता आती है । इस दिन छोटे बड़े सभी एक दूसरे पर रंग, अबीर और गुलाल डालकर गले मिलते हैं । पुराणों के अनुसार असुरराजा हिरण्यकशिपु की बहन, जिसे अग्नि द्वारा न जलने का वरदान प्राप्त था…
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