आध्यात्मिक कहानी । चरण चिन्ह

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वह व्यक्ति पेशे से ज्योतिषी था यही कारण था कि गीली रेत पर बने हुए चरण-चिन्हों को देखकर वह पहचान गया कि यह रेखाएं किसी सम्राट की ही हो सकती हैं । यही नहीं कुछ पैसे की कमाई की लालसा से वह लोगों को इस बारे में बताने भी लगा । लेकिन यह सोचकर उसके दिमाग में सवाल कौंधा कि भला सम्राट इस भरी दोपहरी में नदी के पास क्या करने आएंगे? इसी उधेड़बुन में डूबे ज्योतिषी महोदय चरण-चिन्हों का पीछा करते हुए एक झोपड़ी के पास पहुंचे, जहां आकर चरण चिन्ह समाप्त हो गए थे ।

काफी डरते-डरते ज्योतिषी महोदय झोपड़ी के अंदर गए, तो वह आश्चर्य में डूब गए क्योंकि वहां कोई सम्राट नहीं, बल्कि एक फकीर ध्यान मुद्रा में बैठे थे । उन्होंने ध्यान से देखा, फकीर के शरीर पर नाम मात्र के ही कपड़े थे, लेकिन वह ध्यान में काफी तल्लीन थे । पर ज्योति अपनी जिज्ञासा नहीं रोक पाया और उसने बोला, ‘हे फकीर, मेरे ज्योतिष ज्ञान के अनुसार यह चरण-चिन्ह किसी सम्राट के ही प्रतीत होते हैं, लेकिन आप तो फकीर है । क्या मेरा ज्ञान झूठा है या किसी भ्रम में मेरा सामना हो रहा है । मुझे दिशा दीजिए ।’ ज्योतिषी की बात सुनकर फकीर हंसा व बोला, ‘तेरा ज्ञान केवल सोए हुए लोगों पर ही सच हो सकता है । लेकिन मैं जागृत अवस्था में बंधन मुक्त हूं । जब तक बंधा था, तेरा ज्योतिष ज्ञान तभी तक कारगर था, अब मैं सांसारिक मोह-माया से पूरी तरह मुक्त हूं । मेरा कोई भाग्य नहीं है । इसलिए तेरा ज्ञान भी मेरे ऊपर निरर्थक है ।’ वह ज्योतिषी ठगा सा फकीर को देखता रहा ।

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