संस्कृत में कारक और विभक्ति – परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

संस्कृत में कारक और विभक्ति – परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

1️⃣ कारक (Karaka)

परिभाषा:-  साक्षात् क्रियान्वयित्वम् कारकत्वम् अर्थात् क्रिया से साक्षात् सम्बन्ध रखने वाले विभक्ति युक्त पदों को कारक कहते हैं।

जैसे- ‘श्याम’ ने विद्यालय में मोहन के लिए कलम से पत्र लिखा। इस वाक्य में लिखा’ क्रिया है। ‘श्याम’ ने इसे किया है, इसका फल, ‘पत्र’ पर पड़ा है, ‘कलम’ इसका प्रयोजन है। इस प्रकार श्याम, पत्र, कलम, विद्यालय तथा मोहन का क्रिया से साक्षात् सम्बन्ध है। अतः ये सब कारक हैं।

हिन्दी कारकों की संख्या ८ है किन्तु संस्कृत में इनमें से ६ को ही कारक कहा जाता है। अर्थात् सम्बन्ध तथा सम्बोधन का क्रिया से साक्षात् सम्बन्ध न होने से ‘कारक’ नहीं कहा जाता है

जैसे- ‘कृष्ण ने पाण्डु के पुत्र अर्जुन से कहा ‘में पाण्डु’ का सम्बन्ध पुत्र से होता है,

किन्तु यहाँ क्रिया में उसका कोई सम्बन्ध नहीं है। अतः यह कारक नहीं कहा जायेगा। इसी प्रकार सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति के ही आने से उसे कोई अलग कारक या विभक्ति नहीं मानते।

इस प्रकार संस्कृत में छः कारक जो कर्त्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, अधिकरण तथा सात विभक्तियाँ (प्रथमा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी) होती है।

2️⃣ विभक्ति (Vibhakti)

परिभाषा:- संस्कृत व्याकरण में विभक्ति वह रूप है, जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के साथ जुड़कर वाक्य में उसके अन्य शब्दों से संबंध को दर्शाता है।
यह शब्द के अंत में आने वाले विशेष प्रत्ययों द्वारा प्रकट होता है और इससे यह ज्ञात होता है कि वह शब्द वाक्य में किस कार्य (कारक) के लिए प्रयुक्त हुआ है।

साधारणतः उक्त कथन के अनुसार, विभक्तियों का सम्बन्ध क्रिया से होता है, परन्तु कभी-कभी कुछ अव्ययों के योग में विशिष्ट विभक्तियाँ आती हैं। इन्हें उपपद विभक्ति कहते हैं।

जैसे- अहं रामेण सह विद्यालयं गच्छामि में ‘सह’ के साथ आने के कारण ‘रामेण’ में तृतीया हुई है अतः यह उपपद विभक्ति है।

अब हम संक्षेप में कारकों तथा विभक्तियों का वर्णन करेंगे ।

सामान्य रूप से कारकों के चिन्ह निम्न प्रकार से आते हैं-

विभक्ति कारक चिह्न (हिन्दी में) बालक शब्द (एकवचन रूप)
प्रथमा कर्ता ने बालकः
द्वितीया कर्म को बालकम्
तृतीया करण से (With), (के द्वारा, साधन के लिए) बालकेन
चतुर्थी सम्प्रदान के लिए बालकाय
पंचमी अपादान से (from), (अलग होने के लिए) बालकात्
षष्ठी सम्बन्ध का, की, के, ना, नी, ने, रा, री, रे बालकस्य
सप्तमी अधिकरण में, पर बालके
संबोधन हे!, अरे! हे बालक!

कारक – विभक्ति – उदाहरण (संक्षेप में)

1. कर्तृ कारक – प्रथमा विभक्ति

2. कर्म कारक – द्वितीया विभक्ति

3. करण कारक – तृतीया विभक्ति

4. सम्प्रदान कारक – चतुर्थी विभक्ति

5. अपादान कारक – पञ्चमी विभक्ति

6. सम्बन्ध कारक – षष्ठी विभक्ति

7. अधिकरण कारक – सप्तमी विभक्ति

8. संबोधन कारक – संबोधन

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