मंत्र सिद्धि के लिए सही आसन

kush aasan

क्या आप जानते हैं, साधना में प्रयुक्त सभी आसनों का प्रभाव भी भिन्न होता है । इसलिए जिस प्रयोजन से आपने मंत्र सिद्धि का संकल्प लिया है, उसी के अनुरूप आपको आसन का चुनाव भी करना चाहिए । प्रस्तुत है आसन से जुड़ी कुछ जानकारियां:

■ मृगचर्म का प्रयोग तपस्वी, ब्रह्मचारी और साधु संत कामोत्तेजना का परिहार करने के लिए करते हैं । मोक्ष प्राप्ति अथवा धन पाने के उद्देश्य से की जाने वाली साधना में काला मृगचर्म अनुकूल प्रभाव देता है । ज्ञान सिद्धि के लिए भी मृगचर्म का उपयोग किया जाता है ।

■ कर्म सिद्धि की लालसा के लिए किए जाने वाले जप मैं कंबल का आसन लाभदायक होता है । लाल रंग का कंबल अनुकूल माना गया है । इससे जप करने वाले साधक की शारीरिक विद्दुत शक्ति पृथ्वी में प्रवेश न करके सुरक्षित रहती है ।

■ किसी भी पूजा य साधना के लिए कुशासन को शुभ माना गया है । सतोगुणी साधना के लिए किसका उपयोग अनुकूल माना गया है । इससे साधक की शुचिता, तन्मयता और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है ।

■ व्याघ्रचर्म यह रजोगुणी आसन है, जिसे राजसिक वृत्ति वाले साधकों द्वारा राजसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है । इस पर बैठे हुए साधक को सांप, बिच्छू का भय नहीं रहता ।

■ बांस से बनाए गए आसन पर बैठकर जप करने से दरिद्रता आती है ।

■ पत्थर पर बैठकर जप करने से साधक को कष्टों का सामना करना पड़ता है । धरती पर बैठकर यानि खुली भूमि पर साधना करने वाला व्यक्ति दुखों से आक्रांत होता है ।

■ तिनकों से बने आसन का प्रभाव साधक को धन हानि तथा यश क्षय का संताप देता है । पत्थरों से निर्मित आसन मानसिक विभ्रम उत्पन्न करता है । जबकि सामान्य वस्त्र और कुर्सी का प्रयोग ही मंत्र साधना में निन्दित कहा गया है ।

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