संस्कृत में क्रिया (Verb in Sanskrit) जिस शब्द के द्वारा किसी काम का करना या होना पाया जाता है, उसे क्रिया कहते हैं। संस्कृत की क्रियायें जिन मूलों से बनती हैं, उन्हें धातु कहते हैं। जैसे- सः पुस्तकं पठति’ (वह पुस्तक पढ़ता है) वाक्य से ‘पठति’ (पढ़ता है) के द्वारा पढ़ने का होना पाया जाता है, अतः ‘पठति’ क्रिया है। वह “पठ्” मूल धातु से बनती है। अतः पठ् धातु है। क्रिया के भेद (Types Verb in Sanskrit) क्रियायें दो प्रकार की होती है- (१) सकर्मक, (२) अकर्मक । सकर्मक-…
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