आध्यात्मिक कहानी: भगवान का न्याय

एक भक्त रोज मंदिर जाता और भगवान से पूछता, ‘भगवान! आपने हमें गरीब और दुखी क्यों बनाया?’ हमें जवाब दो भगवान ! जब भक्त कोई जवाब नहीं पाता, तो वह भगवान को एक थप्पड़ मार कर घर चला आता । भक्त का यह क्रम कई वर्षों तक चलता रहा ।

एक रोज जैसे ही भक्त ने भगवान को थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया, तो भगवान ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोले, ‘बस करो । बहुत मार लिया । मैं तुम्हारे धैर्य की परीक्षा ले रहा । आज तुम मुझसे जो चाहो मांग लो, मैं तुम्हें सब कुछ देने के लिए तैयार हूं ।’ भक्त बोला, ‘मैं आपसे यही जानना चाहता हूं, आपने हमें गरीब और दुखी क्यों बनाया ?’ इतना सुन भगवान बोले, ‘भक्त तेरी किस्मत में आज तक यही लिखा था । इसलिए तू गरीबी का दुख भोगता रहा है । पर अब ऐसा नहीं होगा । अब तेरी किस्मत जाग गई है । आज से तू अमीर बन जाएगा और तेरे सारे दुख दूर हो जाएंगे । मैंने तेरे घर में दौलत का अंबार लगा दिया है ।’ भगवान की बात सुनकर भक्त बोला, ‘भगवान आप झूठ तो नहीं बोल रहे हैं । क्योंकि कलयुग में झूठों का बोलबाला है । हमें आपकी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा ।’ भगवान बोले, ‘मैं कभी झूठ नहीं बोलता, पहले तू अपने घर जा कर देख ले । फिर जो जी में आए करना ।’

भक्त जब घर पहुंचा तो देखा बीवी बच्चे सभी खुश नजर आ रहे थे । धन और अन्न से पूरा घर भरा पड़ा था । पत्नी ने बताया कि यह सारी दौलत एक व्यक्ति हमें देकर गया है । इतना सुनकर भक्त बोला, ‘यह सब हमें उस भगवान ने दिया है । जिसे मैं रोज थप्पड़ मारता था ।’ अपनी कृत्यों पर हंसते हुए उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया ।

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