दुर्भाग्य एक प्रेरणादायक कहानी

unfortunate

आज राधेश्याम बहुत खुश था । उसे बहुत दिनों के बाद मेहनत का फल मिल गया था । उसे बाराणसी के एक विद्यालय में बतौर अध्यापक निक्युत कर लिया गया था । राधेश्याम की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था ।

अगले ही दिन वह अपनी माँ से आशीर्वाद लेकर मंजिल की और चल पड़ा । वह वाराणसी जाने वाली बस में सवार हो गया । तभी रस्ते में बस की टक्कर एक ट्रक से हो गई अन्य यात्री के साथ राधेश्याम को भी चोटें आयीं । जब उसे होश आया, तो खुद को एक अस्पताल में पाया । तभी उसके पास एक डॉक्टर आये और पूछा, ‘अब तुम्हारा क्या हाल है ?’ पर राधेश्याम दर्द के मारे कराह रहा था । उसके बगल वाली बिस्तर पर भी एक आदमी लेता हुआ था । उस आदमी ने राधेश्याम से पूछा, ‘तुम्हे क्या हुआ है ?’ ‘मेरा एक्सीडेंट हुआ था ।’ राधेश्याम ने जवाव दिया । तब उस व्यक्ति ने कहा, ‘मेने आत्म हत्या करने का प्रयास किया था । पर बचा लिया गया था । पर में जिंदगी से परेशान हो गया हूँ और अब जीना नहीं चाहता ।’ दोनों में मित्रता होगई ।

अब वह व्यक्ति राधेश्याम से खूब बातें करता । चूकि राधेश्याम का बिस्तर खिड़की के पास था, इस लिए वह उस व्यक्ति को बाहर के नज़ारे और किस्से बताया करता । वह व्यक्ति कभी कभी खुद खिड़की के पास आना चाहता, पर राधेश्याम मन कर देता । यह बात उसे बुरी लगती एक दिन राधे श्याम को कुछ तकलीफ हुई, तो उसने डॉक्टर को बुलाने का आग्रह उस व्यक्ति से किया । पर वह व्यक्ति राधरश्याम से खफा, इसलिए उसने डॉक्टर को नहीं बुलाया । समय गुजरा और राधेश्याम की मौत हो गई ।

फिर जब राधेश्याम का बिस्तर वहां से हटा, तो वह व्यक्ति उसकी जगह शिफ्ट होगया । जब उसने खिड़की की और झाका, तो उसे केवल एक दीवार दिखाई दी अब वह अपने किये पर पछताने लगा क्युकि राधेश्याम केवल उसे जीवित रखने के लिए उसे दुनिया भर के किस्से सुनाया करता था, ताकि उसमे जिन्दा रहने की इच्छा जाग जाये

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