होलिका दहन के दौरान करें ये लाभकारी प्रयोग

होलिका दहन का विशेष महत्व-

 
रंगो का त्योहार कहा जाने वाला होलिकोत्सव पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है । पहले दिन यानि फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं । मान्यता है कि इससे दुष्ट आत्माओं का नाश होता है और वातावरण में शुद्धता आती है । इस दिन छोटे बड़े सभी एक दूसरे पर रंग, अबीर और गुलाल डालकर गले मिलते हैं । पुराणों के अनुसार असुरराजा हिरण्यकशिपु की बहन, जिसे अग्नि द्वारा न जलने का वरदान प्राप्त था । वह भक्त प्रहलाद को मारने के लिए उसे गोद में लेकर आग में प्रवेश कर गई । लेकिन प्रहलाद को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त थी, इस कारण प्रहलाद तो बच गए मगर होलिका स्वयं ही जलकर मर गई । तभी से हर वर्ष प्रतीक स्वरूप होलिका दहन का आयोजन होता है, जिसे राक्षसी शक्तियों के विनाश का प्रतीक माना जाता है ।

तंत्र शास्त्र में होली दहन का विशेष महत्व बताया गया है । जनसामान्य के लाभ हेतु यहां कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जो आम प्रयोग में लाए जा सकते हैं:

होलिका दहन के लाभकारी प्रयोग-

 
१. होली की रख को शरीर पर लगाकर स्नान करने से नवग्रह जनित रोगों और तांत्रिक कर्मों से छुटकारा मिलता है ।

२. होलिका की रख को तांबे की ताबीज में भरकर काले डोरे की सहायता से गले में बांधने से बच्चे को लगी नजर नष्ट हो जाती है ।

३. गोमती चक्र, ७ मोती शंख तथा ७ लघु नारियल को पीले वस्त्र में बांधकर पोटली बना लें । फिर उस पोटली को पति के सिर के चारों ओर ७ बार घुमाकर जलती हुई होलिका में फेंक दे और पीछे देखे बिना घर आ जाएं । दांपत्य सुख में वृद्धि होती है ।

४. होली के दिन चमेली के तेल और सिंदूर से श्री हनुमान को चोला चढ़ाकर हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें । सभी प्रकार की विपत्तियां दूर होंगी ।

५. मुख्य प्रवेश द्वार पर गुलाल छिड़क कर उस पर जलता हुआ दो मुखी दीपक रख दें । जब वह बुझ जाए, तो उसे होलिका में डाल दे । धन लाभ का मार्ग प्रशस्त होगा ।

६. होलिका जलने से पूर्व उसकी सात बार उल्टी परिक्रमा करें । हर परिक्रमा की समाप्ति पर आक की जड़ का एक टुकड़ा होलिका में डालते रहें और अपनी मनोकामना दोहराते रहें आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी ।

७. काली गुंजा को हाथ में लेकर जलती हुई होलिका की ५ बार परिक्रमा करें । उसके बाद होलिका की ओर पीठ करके उन गुंजाओ को अपने सिर के चारों ओर ५ बार घुमाकर हाथों को सर के ऊपर से उठाकर होलिका में फेंक दें । इससे दुर्घटनाओं से आपकी रक्षा होती है ।

८. होली जलने के स्थान पर होली जलाने से 1 दिन पूर्व रात्रिकाल एक मटके में तिल का तेल, गाय का घी, ज्वार तथा तांबे का एक सिक्का डालकर मटके का मुंह बंद करके जमीन में अंदर दबा दें । जब होली जल जाए तो दूसरे दिन सुबह मटके को निकाल कर उन सब चीजों को पोटली में बांधकर तिजोरी या अन्न भंडार में रख दें धन-धान्य में निरंतर बृद्धि होती रहें गी ।

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