जानिए भगवान हनुमान जी की पूजा का महत्व

Hanuman Ji

कपि संकट मोचन नाम तिहारो

भगवान हनुमान की पूजा करने से भक्त को सूर्य का तेज, श्री राम का व्यक्तित्व और शनिदेव जैसा जुझारूपन मिलता है । साथ ही भक्त का आत्मबल भी बढ़ता है

आदि काल से ही पूजा पाठ में हनुमान जी का विशेष महत्व है, क्योंकि हनुमान जी ही कलयुग के प्रत्यक्ष देवता और संकट मोचन हैं । सारे देवताओं में इनकी महिमा इसलिए अधिक है, क्योंकि यह सदैव अपने भक्तों के समीप रहकर उनकी प्रार्थना को सहर्ष स्वीकार करते हैं ।

हनुमान उत्तम सेवक, कुशल नीतिज्ञ और राजदूत, विद्वान, रक्षक, वक्ता और ज्ञान बुद्धि के देवता माने जाते हैं । प्रभु श्री राम के प्रति उनकी सेवा भक्ति से सारा जग परिचित है ।

प्रत्येक वर्ष चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है । इस दिन उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा श्रेयस्कर मानी जाती है । पर इनके दक्षिण मुखी और पंचमुखी स्वरूपों की पूजा करना विशेष लाभ देता है । इनकी पंच स्वरूप में पांचो चेहरे गरुण, वराह, हयग्रीव, सिंह व वानर के प्रतीक हैं । साथ ही यह पांचों दिशाओं उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, आकाश और पाताल का भी प्रतिनिधित्व करते हैं ।

पंचमुखी हनुमान स्वरूप मारुति नंदन का ऐसा रूप है, जो उन्होंने अपने प्रभु श्री राम की रक्षा के लिए अहिरावण के वध के समय धारण किया था ।
उनकी एक मुखी स्वरूप के समक्ष महान योद्धा रावण भी परास्त हो गया था । जो भी साधक पूरी श्रद्धा और निष्ठा से ब्रह्मचर्य का पालन करता हुआ पूरे तन मन धन से उनकी उपासना व पूजा करता है, उस पर इनकी असीम कृपा होती है ।

हमारे जीवन में अनेक बार बाधाएं और परेशानियां आती हैं । पर यदि हम नियमित रूप से हनुमान जी की पूजा करते रहे और उनकी इन मंत्रों

“ऊँ हं हनुमंताय नम :”, ॐ रुद्रात्मकाय हुं फट् आदि का जप करते रहे, तो सारे कष्ट तो दूर हो जाएंगे, साथ ही भगवान हनुमान की तरह ही भक्त भी कुशाग्र बुद्धि और आत्म बलशाली हो जाएगा । वैसे इनके जिस रूप की पूजा साधक करते हैं, उनमें वैसे ही गुणों का संचार भी होने लगता है । साथ ही ऐसे भक्तों पर किसी भी दूसरी बुरी बातों का असर नहीं होता । इनकी पूजा के लिए प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए व मंत्र पढ़ें ।

मम अखिल अनिष्ट निवारण पूर्वकं सकलाभीष्ट सिद्धये तेजो बल विद्या धन-धान्य समृद्धि आयु आरोग्य वृद्धये च हनुमत व्रतं तदंगीभूत्वा पूजनं चाहं करिष्ये ।’

इसके बाद राम, सीता व लक्ष्मण सहित हनुमान जी की पूजा लाल व पीले वस्त्र, केसर युक्त चंदन, यज्ञोपवीत, कनेर तथा अन्य पीले पुष्प केसर, पुआ, सिंदूर, केला, लड्डू, चने की दाल, अक्षत, धूप-दीप आदि से विधिवत करनी चाहिए । अब दीप जलाकर कम से कम 5 माला इस मंत्र का जप करें :

ॐ रंभक्तये नमः । ॐ महातेजसे नमः । ॐ कपि राजाये नमः । ॐ महा णकाये नमः । ॐ डोनाधिकारकये नमः । ॐ मेरुपीठकार्चनाये नमः । ॐ दक्षिणशा भास्कराय नमः । ॐ कारकाये नमः । ॐ सर्वविघ्न निवारकाये नमः ।

अगर भक्त पंचमुखी हनुमत कवच, एक मुखी कवच, बजरंग बाण, हनुमान अष्टक अदि का पाठ करें, तो उसे भगवान हनुमान का आशीर्वाद मिलता है । इनकी पूजा करने वालों को उनके आशीर्वाद के साथ साथ प्रभु श्री राम और शनिदेव की भी कृपा प्राप्त होती है । दरअसल यह भगवान राम के अनन्य भक्त हैं और शनिदेव को रावण ने बंधक बना लिया था और उस कैद से हनुमान जी ने ही उन्हें छुड़ाया था । इसलिए हनुमान जयंती के दिन उनकी विधिवत पूजा आवश्यक रूप से शुभ है

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