एक अच्छे टीम लीडर के कार्य
कंपनी की बागडोर को लीडर ही सँभालते हैं। उसे खड़ा करने में भी सर्वाधिक योगदन लीडर का ही होता है। वे यह काम कंपनी के कर्मचारियों की मदद से करते हैं। लेकिन कैसे…?
कहते हैं, जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ। सच है, पानी मैं उतर के ही उसमें से मोती निकाले जा सकते हैं, क्योंकि किनारे बैठने से कुछ भी हासिल नहीं होता। कहने का आशय इतना ही है कि किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत पड़ती है। हालांकि मेहनत यदि गलत दिशा में की जाए, तो उसका कोई फल नहीं मिलता है। दरअसल, जो सही दिशा दे सके, उन्हें ही हम अपना ‘लीडर’ कहते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि लीडर जन्मजात पैदा होते हैं, उन्हें बनाया नहीं जा सकता। लेकिन सच तो यह है कि दुनिया में हर प्रकार की विशिष्टता मेहनत और सूझबूझ से हासिल की जा सकती है। क्या कभी आपने सुना है कि किसी डॉक्टर ने बच्चे के जन्म लेने के समय यह कहा हो – ‘लो हमारा लीडर पैदा हो गया!’ हां, इतना तो तय है कि किसी-किसी में जहां एक ओर शुरू से ही लीडरशिप के गुण नजर आते हैं, तो कोई इसे बाद में विकसित कर लेता है। सच तो यह है कि यदि लीडर अच्छा हो, तो उनके मार्गदर्शन में कुछ भी किया जा सकता है। साम्राज्यवाद खत्म किया जा सकता है, हुकूमतें गिराई जा सकती हैं, पीड़ित प्रताड़ित लोगों को इंसाफ दिलाया जा सकता है। और यहां तक कि दुनिया पर फतेह की जा सकती है। ऐसे नामों से इतिहास पटा पड़ा है, जिनकी अगुवाई में ये सभी काम किए जा चुके हैं। नेपोलियन, सिकंदर अब्राहम लिंकन, गोविंद रानाडे, बालगंगाधर तिलक, महात्मा गांधी उनमें से कुछ हैं। वास्तव में लीडर वे ही बन पाते हैं, जिनके विचार और काम दूसरों के लिए प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं। उनके विचारों की आंधी में उनका अनुसरण करने वाले सभी लोग बहने लगते हैं। आइए जानते हैं कि अगर कोई अपने अंदर नेतृत्व के गुण विकसित करने की इच्छा रखता हो, तो उसे क्या करना चाहिए ?
कॉर्पोरेट इंडस्ट्री में लीडर की भूमिका
कॉर्पोरेट इंडस्ट्री में लीडरों की अहम भूमिका होती है। यहां लीडर को सीईओ यानी चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर कहते हैं। कई मायनों में ये कंपनी का चेहरा होते हैं, क्योंकि कंपनी की दशा-दिशा इन्हीं पर निर्भर करती है। इसके अलावा, वे अन्य बहुत से काम करते हैं। आइए जानें और क्या कुछ करते हैं, कंपनी के सीईओ…
तैयार करते हैं नए लीडरों की खेप
किसी भी लीडर का सबसे महत्वपूर्ण काम है अपने पीछे नए लीडरों की खेप को तैयार करना, ताकि उनकी गैर मौजूदगी में कंपनी के काम में बाधा न आए। दरअसल, यह खेप कंपनी के लीडर के मार्गदर्शन में ही तैयार होती है । लीडर के न रहने पर यह खेप कंपनी की बागडोर संभाल लेती है। यह खेप अगली खेप को तैयार करती है और इस तरह यह सिलसिला निरंतर जारी रहता है।
बनाते हैं कंपनी की पॉलिसी
सीईओ के पास कंपनी का रिमोट कंट्रोल होता है। ऐसी स्थिति में कंपनी की पॉलिसी बनाने से लेकर बड़े निर्णय लेने तक सभी जिम्मेदारी इन्हीं की होती है। लाजमी है, जब रिमोट कंट्रोल इनके पास है, तो कंपनी में ऊंच-नीच की जिम्मेदारी भी इन्हीं की होती है।
बनाते हैं टीम
हालांकि कंपनी के सभी निर्णय सीईओ ही लेते हैं, लेकिन किसी काम को अमली जामा पहनाने के लिए टीम की जरूरत पड़ती है। अमूमन इस टीम को कंपनी के सीईओ ही बनाते हैं और वे टीम के अगुआ होते हैं। ऐसे में पूरी टीम उनके कहने के मुताबिक ही चलती है।
करते हैं प्रेरित
कठिन परिस्थितियों में यदि टीम टूटने लगती है और उसका मनोबल गिरने लगता है, तो वहां पर टीम के मनोबल को उठाने की जरूरत होती है। और ऐसी स्थिति में इस काम को लीडर ही अंजाम देते हैं। वे उन्हें संयम और धैर्य बनाए रखने के लिए प्रेरित करते हैं। यही नहीं, वे अपने काम से भी टीम को प्रेरित किया करते हैं। कोई भी संस्था लीडर अकेले ही नहीं खड़ी कर देते। सच तो यह है कि उसके पीछे बहुत-से लोगों का योगदान होता है। ये लोग अपने लीडर के नक्शेकदम पर चलते हैं। ऐसे में, यदि लीडर अच्छे होते हैं, तो कंपनी निरंतर ऊंचाइयां छूती जाती है, नहीं तो उसके गर्दिश के दिन शुरू हो जाते हैं ।