हाथ की रेखाओं से जाने संतान होगी या नहीं
हस्तरेखा विशेषज्ञ जानते हैं कि संतान के बारे में अत्यधिक प्रश्न पूछे जाते हैं, परन्तु प्रायः इनका सही उत्तर देना कठिन होता है। संतान योग है या नहीं? कितने पुत्र और कितनी पुत्रियां? इन प्रश्नों के उत्तर हर माता-पिता जानना चाहते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर ज्योतिष विज्ञान में अपेक्षाकृत सरल है पर हस्त रेखाओं से इनके उत्तर देने में अत्यधिक सावधानी की जरूरत होती है।
संतान योग बताने से ज्यादा कठिन होता है संतान की संख्या बताना और फिर पुत्र या पुत्री की संख्या। इसके कई कारण हैं। आधुनिक युग में पढ़े लिखे व्यक्ति एक या दो ही संतान चाहते हैं। कुछ कायदे कानून भी ऐसे बन रहे हैं जिसके कारण दो से अधिक संतान होने से आर्थिक क्षति की संभावना बढ़ जाती है। साधारण शिक्षित व्यक्ति अब संतानों की देखरेख, पालन-पोषण का बढ़ा हुआ बोझ उठाने में अपने को असमर्थ सा पाते हैं। कुछ अविवाहित व्यक्तियों के हाथ में विवाह रेखा और संतान हीन लोगों के हाथ में संतान रेखाएं मिलने से हस्त रेखा विशेषज्ञ का कार्य कठिन से कठिनतम हो जाता है। साधारणत: विवाह रेखा के ऊपर जो खड़ी रेखाएं होती है, उन्हें संतान रेखा कहा जाता है। ये काफी बारीक़ होती है इस कारण इन्हें देखने के लिए लेंस (मैग्नीफाइंग ग्लास) की आवश्यकता होती है। इन संतान रेखाओ में जो बड़ी गहरी और बिना टूटी -फूटी हों, वे पुत्र जन्म का संकेत देती हैं और जो छोटी, हल्की एवं और बिना टूटी -फूटी हों वे पुत्री होने के लक्षण को दर्शाती हैं।
पुरुष की अपेक्षा स्त्री के हाथ में संतान रेखाएं अधिक साफ दिखती हैं। यदि पिता या माता को संतान प्रेम ना हो तो संतान रेखा उसके हाथ में दिखाई नहीं देती। पति-पत्नी दोनों का हाथ देख कर ही संतान योग कहना चाहिए। विवाह रेखा पर संतान रेखाओं को हथेली के बाहर से भीतर की ओर गिनना चाहिए।
यदि कोई रेखा टूटी हो तो संतान हानि होती है। स्पष्ट और सीधी रेखाएं स्वस्थ संतान देती हैं तथा हल्की, लहरदार, टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं निर्वल संतान देती हैं। संतान रेखा पर द्वीप का होना रोगी संतान दर्शाता है। संतान रेखा के अंत में द्वीप हो तो संतान हानि की संभावना होती है। संतान रेखा को कोई दूसरी आड़ी रेखा यदि काट रही हो तो भी संतान हानि की संभावना होती है।
यदि चौड़ी हथेली हो और सारी मुख्य रेखा साफ, सुथरी, गहरी, गुलाबी हो तो ऐसे व्यक्ति संतान युक्त होते हैं। मछली, कमल, कुंडल इत्यादि के चिन्ह भी संतान योग की सूचक है। यदि चंद्रमा का पर्वत साधारण विकसित हो, शुभ रेखाओं से युक्त हो तथा नाखून गुलाबी हो तो संतान होना मानना चाहिए।
यदि किसी स्त्री का शुक्र दबा हुआ हो और मणिबंध हथेली में धंसा हुआ हो तो वह संतानहीन होती है। जिस स्त्री की जीवन रेखा अंगूठे के काफी नजदीक से निकली हो तो वह संतान सुख से वंचित होती है।
उपरोक्त के अतिरिक्त भी निम्नलिखित आधारों पर संतान योग संख्या, लिंगभेद इत्यादि का अनुमान लगाना सर्वथा उचित होगा
(१) अंगूठे के मूल में जितने यव बड़े हो उतने पुत्र और जितने यव छोटे हो उतनी पुत्रियां समझना चाहिए। अंगूठे के मूल यव का होना संतान प्राप्ति की एक अच्छी निशानी समझी जाती है।
(२) अंगूठे के मूल में शुक्र पर्वत पर बाहर से भीतर की ओर आती रेखाएं संतान दर्शाती है।
(3) हृदय रेखा और मस्तक रेखा के बीच में मंगल पर्वत पर बाहर से भीतर आती आड़ी रेखाएं भी संतान योग बताती हैं।
(4) हृदय रेखा के अंत में यदि एक दो शाखाएं (ऊपर व नीचे) निकलकर मंगल पर्वत जाती हो तो संतान योग समझना चाहिए।
(5) भाग्य रेखा कलाई के पास से निकलकर शनि पर्वत तक छायी हो अच्छी हों, अच्छी हों और अंत में ऊपर उठती रेखाएं हो तो संतान योग होता है।
(6) कनिष्ठका और मध्यमा के बीच पर्व पर यदि साफ-सुथरी खड़ी रेखाएं हो तो व्यक्ति को संतान होती है।
(7) एक और मत से यदि अनामिका और तर्जनी के तीसरे पर्व पर साफ-सुथरी खड़ी रेखाएं हो तो वह स्त्री संतान युक्त होती है।
(8) उपरोक्त सभी बातों पर ध्यान रखकर पति-पत्नी दोनों के हाथों का निरीक्षण कर ही संतान योग, पुत्र-पुत्री संख्या आदि का फलादेश करना चाहिए। उचित होगा कि हस्त रेखा विशेषज्ञ इस विषय पर और अधिक शोध करें ताकि संतान रेखा के विषय पर निश्चित रूप से सही फलादेश हो सके।
Santan hi ya nhi kafe time ho gya Sadi ka
Aap kisi expert ki Advice le sakti he