सपने में सूर्य देवता का वाहन दिखे तो ?

सपने में सूर्य देवता का वाहन दिखे तो ? । सफलता का सूचक सूर्य का वाहन

सपने में सूर्य देवता का वाहन दिखे तो ? । सफलता का सूचक सूर्य का वाहन

कहा जाता है कि हर ग्रह अपना शुभ और अशुभ प्रभाव देने से पूर्व ही व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के संकेत कतिपय माध्यमों से देते हैं, जिनमें से ग्रहों के देवों के वाहन भी प्रमुख हैं। अगर सपने में सूर्य देवता का वाहन दिखे तो …

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य गृह का महत्वा

किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य सबसे अधिक प्रभावित करने वाला ग्रह है, क्योंकि सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है। कुंडली में सूर्य के शुभ होने पर व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है, जबकि अशुभ स्थिति कष्ट का कारण बनता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक ग्रह की एक निश्चित शासन देव होते हैं तथा उन ग्रहों के प्रतिनिधि देवों के वाहन को ही उक्त गृह का वाहन माना जाता है। कहा जाता है कि हर ग्रह अपना शुभ और अशुभ प्रभाव देने से पूर्व ही व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के संकेत कतिपय माध्यमों से देते हैं, इनमें से ग्रहों के देवों के वाहन भी प्रमुख हैं। इसी क्रम में अगर आप किसी ग्रह का वाहन सपने में देखते हैं तो इसका कुछ ना कुछ संकेत अवश्य होता है। यहाँ हम सूर्य देव के वाहन के बारे में जानेंगे।

सपने में सूर्य देवता का वाहन दिखे तो ?

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य गृह को पिता के शुभाशुभ, यश, प्रताप, धैर्य, वीरता, राजकीय सेवा, स्वास्थ्य और प्रसिद्धि का कारक माना जाता है। सूर्यदेव सात घोड़े वाले रथ पर सवार रहते हैं। इस कारण सूर्य देव का वाहन सप्ताशव होता है। जन्म कुंडली में जब किसी व्यक्ति की सूर्य की महादशा प्रारंभ होती है, तो ऊपर लिखे गए कारकों में सूर्य की शुभ और अशुभ के अनुसार फल प्राप्त होता है।

सफलता का सूचक सूर्य का वाहन

इस तरह सूर्य देव का वाहन स्वप्न में देखना बहुत शुभ माना जाता है। लेकिन यह तभी शुभ है जब वाहन खंडित ना हो। यदि सूर्य देवता का वाहन खंडित अवस्था में दिखाएं तो यह बहुत ही खराब दशा काल का घोतक होता है। इससे जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। सूर्य के शुभ प्रभाव के लिए सूर्य ग्रह की शांति हेतु उपाय अवश्य करना चाहिए।

इन्हे भी जानें

वैदिक ऋषियों ने सूर्य उपासना का काफी महत्व इसलिए दिया है क्योंकि यह भौतिक, शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक, साहित्यक, आध्यात्मिक जीवन को सर्वाधिक प्रभावित करता है। ऋण संहिता के (१/१९१ ) सूत में सूर्य देवता को गरल को दूर करने वाला कहा गया है। अथर्वावेद (१/२२/१०) हृदयगत रोगों का अपहरण करने में सूर्य में अपार शक्ति है। लेकिन इसका लाभ वही उठा सकते है जो विधिवत सूर्य की उपासना करते हों।

श्रोत – विश्व तंत्र ज्योतिष

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