एक बार शंकर जी और माता पार्वती स्वर्ग की सैर पर निकले । पार्वती जी ने दूर एक आदमी को भूख से तड़पते देखा । उसे तड़पते हुए देखकर भी भगवान शंकर आगे बढ़ गए । पार्वती जी से रहा नहीं गया । उन्होंने इस पर प्रश्न किया कि आखिर क्यों भगवान शंकर ने उस आदमी के प्रति दया नहीं दिखाई जबकि उन्हें तो करुणा का सागर कहा जाता है । शंकर भगवान बोले, ‘तुम जानती नहीं हो, देवी । मनुष्य की आदत है अपने मन के बहकावे में आ…
Read Moreशिक्षाप्रद कहानी । ज्ञान निधि का संरक्षण धर्म है
ह्वेनसांग भारत का परिभ्रमण कर जहाज से वापस चीन जा रहा था । उसेके साथ ग्रंथों से भरी एक पेटिका भी थी । जहाज अभी कुछ ही दूर गया था की तूफान मैं फंस गया । जहाज के डगमगाने पर प्रधान नाविक ने यात्रिओं से फालतू सामान बिना देर किये समुद्र में फेकने की अपील की । तत पश्चात नाविक ने ह्वेनसांग को भी उसे पेटिका को फेकने को कहा । ह्वेनसांग असमंजस में पड़ गया क्योंकि यह उसकी भारत यात्रा की एक मात्र पूंजी थीं । इसलिए उसने उस…
Read Moreशिक्षाप्रद कहानी । तब मैंने जाना पानी का मोल
बात चार साल पहले की है । मैंने इंटर पास करके स्नातक मैं दाखिले के लिए फॉर्म भरा था, जिसकी प्रवेश कक्षा के लिए हमें पटना जाना था । सुबह नौ बजे की ट्रैन थी । हमने सारी तैयारी कर ली थी । पर हमें बहार का खुला पानी पीने की आदत नहीं थी, इसलिए बोतल मैं घर का पानी भी भर लिया था । उस दिन गर्मी का प्रकोप कुछ अधिक था । जब ट्रैन चल पड़ी और थोड़ी देर के बाद हमें प्यास लगी, तब हमें पता चला…
Read Moreशिक्षाप्रद कहानी । सादगी ही मनुष्य का आभूषण है
महान पुरुषों का एक प्रमुख गुण सादगी माना जाता है । देश के चर्चित प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी इतने ऊंचे ओहदे पर होने के बाद भी एक सहिष्णु एवं सादगी पूर्ण जीवन जीते थे । उनके जीवन की कई ऐसी घटनाएं हैं, जो आज भी हमारे लिए प्रेरणादाई हैं । ऐसी ही एक घटना है । एक बार वह कार से कहीं जा रहे थे । रास्ते में खेतों का हरियाली पूर्ण दृश्य काफी मनोहर लग रहा था । अचानक उनकी नजर चने के खेत पर पड़ी । उन्होंने…
Read Moreआध्यात्मिक कहानी । गौ महिमा और संत का मूल्य
एक दिन च्यवन ऋषि संगम में खड़े होकर तपस्या कर रहे थे । एक बार मछुआरों ने संगम में बहुत बड़ा जाल लगाया । जब उन्होंने जाल को बाहर खींचा, तो उसमें कई जलीय जंतुओं के साथ ऋषि को भी देखा । जब मछुआरों ने ऋषि को देखा, तो हाथ जोड़कर उनसे माफी मांगने लगे । पर ऋषि ने कहा कि इन जीवो को छोड़ दो, तभी मैं भी जीवित रह पाऊंगा । यह बात राजा नहुष तक पहुंची । राजा ऋषि के प्रताप से परिचित थे । वह दौड़े-दौड़े…
Read Moreआध्यात्मिक कहानी । चरण चिन्ह
वह व्यक्ति पेशे से ज्योतिषी था यही कारण था कि गीली रेत पर बने हुए चरण-चिन्हों को देखकर वह पहचान गया कि यह रेखाएं किसी सम्राट की ही हो सकती हैं । यही नहीं कुछ पैसे की कमाई की लालसा से वह लोगों को इस बारे में बताने भी लगा । लेकिन यह सोचकर उसके दिमाग में सवाल कौंधा कि भला सम्राट इस भरी दोपहरी में नदी के पास क्या करने आएंगे? इसी उधेड़बुन में डूबे ज्योतिषी महोदय चरण-चिन्हों का पीछा करते हुए एक झोपड़ी के पास पहुंचे, जहां आकर…
Read Moreशिक्षाप्रद कहानी: जब झेप गया बिगड़ैल आदित्य
शिक्षाप्रद कहानी: मेरे पड़ोस में रहने वाले आदित्य को खुद पर बहुत घमंड था । वह अपने पिता का इकलौता पुत्र था इसलिए घर में उसे बड़ा दुलार मिलता था । वह किसी से विनम्रता से बात नहीं करता था । अपने से बड़ों के साथ थी वह बदतमीजी करता रहता था । जो उसकी बात नहीं मानता था, उसे मारता भी था । बाइक तो कभी भी 60 से कम नहीं चलती थी । जब वह गाड़ी लेकर सड़क पर आता था, तो लोगों की दिल की धड़कनें बढ़…
Read MoreNaitik Kahani । मछली की चतुराई
तालाब में ढेर सारी मछलियां रहती थी । एक दिन अचानक वहां एक बगुला आ गया और उसने झटपट कई मछलियों का शिकार कर लिया । यह देखकर मछलियों में हड़कंप मच गया । सारी मछलियां भयभीत हो गयीं । सारी मछलियां शाम को एकत्रित हुए और उस बगुले से छुटकारा पाने का उपाय सोचने लगी । तभी सुकन्या नाम की एक छोटी मछली ने कहा, ‘मेरे पास बगुले को भगाने का आईडिया है ।’ पूछने पर उसने अपनी योजना कह डाली । अगली सुबह जब बगुला खुशी से मछलियां…
Read Moreप्रेरक कहानी: पापा ने दिखाया मेहनत का रास्ता
एक गांव में बारह वर्षीय बालक जिसका नाम दीपक है अपने परिवार के साथ रहता था । एक दिन दीपक के पिताजी खेत में काम कर रहे थे । तभी दीपक वहां पहुंच गया । वह खेत में बीज डाल रहे थे । दीपक ने जिज्ञासावश पूछा, ’पिताजी आप इन बीजों को जमीन पर क्यों फेंक रहे हैं?’ पिताजी दीपक का सवाल सुनकर हंसने लगे । वह बोले, ’बेटे, मैं बीज फेंक नहीं रहा हूं, उन्हें बो रहा हूं । ‘अभी दीपक आगे प्रश्न पूछता, तभी पिताजी बोल पड़े ।…
Read Moreआध्यात्मिक कहानी । दूसरों के लिए गड्ढा खोदोगे, तो खुद गिरोगे
एक भक्त कई वर्षों से भगवान की नित्य प्रार्थना कर रहा था । एक दिन भगवान उसकी प्रार्थना से खुश हो गये, और उसे दर्शन दिए । वह भक्त से बोले, “मैं तुझ से प्रसन्न हूं, जो भी चाहे वरदान मांग लो । पर एक शर्त है कि तू जो मांगेगा, उससे ठीक दूना पड़ोसी को मिलेगा ।” अब भक्त सोच में पड़ गया । उसका वर मांगने का उत्साह ही फीका पड़ गया । वह तो सोच रहा था कि वर लेकर पड़ोसियों को पीछे कर दूंगा । यहां…
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