रोग मुक्ति का उपाय : प्रार्थना से दूर होते हैं रोग-क्लेश

Prayer

आरोग्यता में ईश्वर भक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है । दरअसल हमारी कई बीमारियों की वजह हमारे अंदर ही मौजूद रहती है । चिकित्सकों और महापुरषों ने भी आरोग्य रहने में भगवद भजन को श्रेष्ठ बताया हैं ।

किसी भी बीमारी से जब बड़े-बड़े चिकित्सक असफल हो जाते हैं, तो कहते हैं कि अब दुआ का ही सहारा है । काफी हद तक यह सच भी है क्योंकि प्रसिद्ध पुस्तक थियोलॉजिया जर्मेनिका में भी उल्लेख है कि मनुष्य जैसे ही आत्मस्थ होकर ईश्वर सानिध्य में तल्लीन हो जाता है, वैसे ही उसे अपनी खोई तथा क्षीण शक्ति वापस मिल जाती है । इसलिए निर्विवाद रुप से यह सही है कि विश्वासपूर्वक ईश्वर से प्रार्थना करने पर बड़ी से बड़ी तथा भयंकर बीमारी से मनुष्य ने निजात पा ली है ।

गठिया रोग का कारण, गठिया रोग दूर करने का उपाय

इसी तरह कई बीमारियों का भी धर्मसम्मत इलाज संभव है । मसलन गठिया जैसे भयंकर रोग के बारे में चिकित्सकों का अनुभव है कि मन की अशांति और चिंता से यह रोग उग्र रूप धारण कर लेता है । चिकित्सक रिवेका बियर्ड के अनुसार एक महिला इसलिए परेशान हो रही थी कि उसका पति अंग्रेज हो कर भी अंग्रेजी ठीक से नहीं बोल पाता है । दस साल तक लगातार चिंतित रहने के कारण उसके शरीर की संधियों में पीड़ा होने लगी, जिसने गठिया का रूप धारण कर लिया । जब उसने चिंता करनी छोड़ दी, तो उसका रोग शनैः शनैः जाता रहा ।

ह्रदय रोग का कारण, ह्रदय रोग दूर करने का उपाय

इसी तरह ह्रदय रोग की दवा भी भगवत्प्रेम है । यह रोग क्रोध, आवेश, चिड़चिड़ापन और असंतुलन की भावना का परिणाम है । इन विकारों से हृदय की धड़कन की गति तीव्र हो जाती है और बाद में धड़कन का रूपांतर भयानक रोग में हो जाता है । इसलिए हृदय रोग के रोगी को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि रोग की वजह उसके अंदर मौजूद हैं । इसलिए इस रोग की दवा यह है कि हम एक दूसरे से प्रेम करें उनकी बातों को ध्यान पूर्वक सुने व मन में आवेग न आने दें ।

मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) रोग का कारण व रोग दूर करने का उपाय

अगर मधुमेह की बात करें, तो मानसिक थकावट और चिंता इस बीमारी की जड़ है । लगातार चिंता की आग में जलते रहने से मनुष्य इनका शिकार हो जाता है । मानसिक रोग चिकित्सकों ने पता लगाया है कि अन्य भावनाओं के मुकाबले चिंता से शारीरिक शक्ति ज्यादा क्षीण होती है । इस क्षीणता की पूर्ति के लिए शरीर के अंदर खून में अधिकाधिक शक्कर रक्तवाही नाड़ियों में प्रवाहित रहता है और लंबे समय तक ऐसा होते रहने के बाद पाचन क्रम थैली कमजोर हो जाती हैं । जिससे मधुमेह रोग हो जाता है । इसलिए इस रोग की एक असरदार दवा है, सदा निश्चिंत और प्रसन्न रहना ।

रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) का कारण व रक्तचाप की बीमारी दूर करने का उपाय

बात करें रक्तचाप की, तो यह भी आम बीमारी बन चुकी है । मानसिक संताप, हार्दिक वेदना और चिंता आदि के कारण यह रोग भयंकर बन जाता है । वेदनाओ और चिंता से शरीर के कलपुर्जे कमजोर बन जाते हैं और मनुष्य का स्वास्थ्य गिर जाता है । भय और क्षति की भावना से शरीर में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती जाती है । रक्तवाहिनी नाड़ियों में रक्त शर्करा बढ़े हुए वेग से बहना आरंभ हो जाती है । परिणाम स्वरुप व्यक्ति उच्च रक्तचाप का शिकार हो जाता है । पर ईश्वर भक्ति से इस रोग से भी पीछा छुड़ाया जा सकता है ।

महात्मा गांधी और विनोबा भावे ने भी कहा है कि प्रार्थना के द्वारा आरोग्य प्राप्त किया जा सकता है । गांधीजी का विचार है कि राम नाम में रोगमुक्त कि अमोघ शक्ति है, बशर्ते राम नाम हृदय से लिया जाए, वाणी से नहीं । इसी प्रकार विनोबा भावे ने भी राम नाम को महत्वपूर्ण बताया है ।

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