अनेक रहस्यों से पर्दा हटाती है भाग्य रेखा

भाग्य रेखा

भाग्य रेखा

भाग्य रेखा जब मस्तिष्क रेखा से पहले ही रुक जाए तो बड़ी कठिनाई से जीवन यापन होता है ।

यदि भाग्य रेखा मस्तिष्क तथा हृदय रेखा को पार कर लें तथा उसकी शाखाएं भी ऊपर की ओर निकले तो वह व्यक्ति की कीर्ति पताका चारों ओर फैलती है ।

मणिबंध से शनि पर्वत तक भाग्य रेखा जाए तथा गहरी तथा लालिमा लिए हो तो व्यक्ति की ख्याति तो फैलती है, मगर मृत्यु दुर्घटना के द्वारा होती है ।

भाग्य रेखा शनि पर्वत से होकर सूर्य पर्वत पर जाए तथा सूर्य रेखा से मिले तो व्यक्ति कला के क्षेत्र में विशेष ख्याति अर्जित करता है ।

जब भाग्य रेखा जीवन रेखा से सटकर निकलती है तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है । मगर उसकी भाषा तथा व्यक्तित्व आम आदमी के समझ के बाहर होता है ।

चंद्र पर्वत के मध्य से रेखा निकले तथा शनि पर्वत तक जाए तो व्यक्ति सर्वोच्च भाग्यशाली होता है । उनका भाग्य स्त्री द्वारा ही उदय होता है । जब यही रेखा लहरदार चेन की तरह हो तथा शनि पर्वत विभाजित हो जाए तथा एक रेखा सूर्य पर्वत तथा दूसरी रेखा बृहस्पति पर्वत पर जाए तो व्यक्ति का भाग्य कई कारणों से उदय होता है ।

जब ह्रदय रेखा से कोई रेखा शनि पर्वत पर जाए तथा उसमें से दो रेखाएं निकले (सूर्य पर्वत, बृहस्पति पर्वत) पर व्यक्ति का भाग्य उज्जवल होता है ।

रेखा पर जब क्रॉस या द्वीप बने तो व्यक्ति की मृत्यु बड़ी दुखद होती है ।

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