नैतिक कहानी: जैसे को तैसा

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एक बार की बात है। एक गांव में गरीब किसान रामू रहता था। उसकी दो बेटियां थी। जब वह अपनी पहली पुत्री का विवाह कर रहा था, तो उसे कुछ बर्तनों की आवश्यकता पड़ी। उसने पास के एक साहूकार से किराए पर कुछ बर्तन ले लिए। विवाह के बाद उसने साहूकार के बर्तन वापस कर दिए, जिनके साथ किसान के छोटे-छोटे बर्तन भी चले गए। जब वह किसान अपने छोटे बर्तनों को लेने गया, तो साहूकार ने कहा, ‘नहीं, ये तो मेरे बर्तनों के छोटे बच्चे हैं।’ यह कहकर उसने…

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नैतिक कहानी: अंधविश्वास बनाम आत्मविश्वास

नैतिक कहानी: अंधविश्वास बनाम आत्मविश्वास

बात काफी पहले की है। मेरे गांव में एक पंडित जी रहते थे। वह हमेशा लोगों को मूर्ख बनाकर अपना उल्लू सीधा करते थे। एक दिन उन्होंने लोगों को बताया कि कल के दिन प्रातः से सायंकाल तक जो कोई भी गंगा स्नान करेगा, वह पत्थर का हो जाएगा। दूसरे दिन सुबह से ही पंडित जी और गांव वाले नदी के किनारे खड़े थे। जो कोई भी आता, उसे तुरंत रोक दिया जाता। यह कहकर कि पानी में स्नान करने से तुम पत्थर के बन जाओगे। ऐसा करते-करते दोपहर तक…

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A beggar story : झूठा भिखारी और दान

A beggar story : झूठा भिखारी और दान

गली में जोर-जोर से भिखारी चिल्ला रहा था, ‘मेरी मदद करो, गरीब की मदद करो, अल्लाह तुम्हें बहुत देगा।’ कुछ औरतें घर से आटा, पैसा लेकर बाहर आई और भिखारी को देने लगीं, परंतु उसने आटा पैसे लेने से इंकार कर दिया। सब आश्चर्य से उसे देखने लगे। वही नुक्कड़ पर चार-पांच युवक खड़े थे। भिखारी के आटा-पैसे न लेने पर वह भी उसे देखने लगे। फिर उन्होंने भी उसे लेने को कहा, किंतु उसने कुछ भी नहीं लिया। तब एक लड़के ने पूछा, ‘तो तुम्हें क्या चाहिए बाबा ?’…

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नैतिक कहानी: आदतों को कैसे लगा देती आग

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आदतों को कैसे लगा देती आग, एक बूढी मां की कहानी बात हमारे शहर के ही एक घर की है। घर के मुखिया के गांव में देहांत के बाद बेटा अपनी मां को शहर में अपने घर ले आया। पति के अचानक चले जाने से गांव के उस हवेली नुमा मकान में अम्मा का जीवन दुष्कर हो गया था। पर बेटे ने मां की चिंता की और वह उन्हें अपने साथ शहर ले आया। अम्मा को लगा केवल जगह ही बदल गई है। भले ही यह उनके पति का घर…

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Dharmik Pravachan: श्रेष्ठता आपके हाथ में !

श्रेष्ठता आपके हाथ में, Dharmik pravachan in hindi

मनुष्य के पैर नरक को और उसका सिर स्वर्ग को छूता है। ये दोनों ही उसकी भावनाएं हैं। इन दोनों में से कौन सा बीज वास्तविक बनेगा, यह उस पर, केवल उस पर निर्भर करता है। मनुष्य की श्रेष्ठता स्वयं उसके हाथों में है। प्रकृति ने तो उसे मात्र संभावनाएं दी है। वह स्वयं का स्वयं ही सृजन करता है। जो जीवन में ऊपर की ओर नहीं उठ रहा है, वह अनजाने और अनचाहे ही पीछे और नीचे गिरता जाता है। मैंने सुना है कि किसी सभा में चर्चा चली…

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नैतिक कहानी: राधिका की शिकायत

हाथों में फूलों का गुलदस्ता थामते हुए मन्नू ने कहा, ‘हैप्पी मदर्स डे । मम्मा !’ थैंक्यू बेटा, मां ने प्यार से कहा और बोली, ‘बिलकुल मुझ पर गया है । एक आप हैं, पिछले दस साल से एक फूल भी मुझे भेट नहीं किया ।’ राधिका की बात को बिल्कुल अनसुना करते हुए जे के ने चाय की चुस्की ली और अख़बार से बिना नजरें हटाए बोले, ‘हूं ।’ राधिका सोफे से उठी और खिड़की के परदे हटाने लगी । तभी उसकी नजर सामने वाले मकान में बालकनी पर…

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आध्यात्मिक दृष्टांत: विचारों में आज भी हैं रामकृष्ण परमहंस

Ramakrishna Paramahamsa

रामकृष्ण परमहंस एक महान संत एवं विचारक थे । बचपन में ही इन्हें विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं, इसलिए इन्होंने ईश्वर की प्राप्ति और साधना में सारा जीवन बिता दिया । रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे और इनका मानना था कि सभी धर्मों कि मंजिल एक ही हैं, बस रस्ते अलग-अलग हैं । बचपन से ही माँ जगदम्बा के दर्शन करने उत्कट कामना इनमे उत्पन्न हो गई थी । वे दिन रात देवी की आराधना व ध्यान करते और देवी के दर्शन के लिए फुट फुट…

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नैतिक कहानी: बड़बोला दूधवाला चुप रह गया

हमारे एक पड़ोस के ताऊ जी सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्त है । वह हमेशा कहते हैं कि जब तक जेब में छह हजार रूपए नहीं रहते, मुझे चैन नहीं रहता । लिहाजा हमेशा उनकी जेब में इतने रूपए मौजूद रहते । कई लोगो को समय पड़ने पर वह मदद भी कर देते थे । इसलिए हमें भी उनकी यह आदत बुरी नहीं लगती थी । एक दिन सुवह जब हम दुध लेने दूधवाले के पास पहुंचे, तो वह भेस दुहने की तयारी कर रहा था । हमारे पहुँचते ही…

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दुर्भाग्य एक प्रेरणादायक कहानी

unfortunate

आज राधेश्याम बहुत खुश था । उसे बहुत दिनों के बाद मेहनत का फल मिल गया था । उसे बाराणसी के एक विद्यालय में बतौर अध्यापक निक्युत कर लिया गया था । राधेश्याम की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था । अगले ही दिन वह अपनी माँ से आशीर्वाद लेकर मंजिल की और चल पड़ा । वह वाराणसी जाने वाली बस में सवार हो गया । तभी रस्ते में बस की टक्कर एक ट्रक से हो गई अन्य यात्री के साथ राधेश्याम को भी चोटें आयीं । जब उसे होश…

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आध्यात्मिक कहानी । गौ महिमा और संत का मूल्य

एक दिन च्यवन ऋषि संगम में खड़े होकर तपस्या कर रहे थे । एक बार मछुआरों ने संगम में बहुत बड़ा जाल लगाया । जब उन्होंने जाल को बाहर खींचा, तो उसमें कई जलीय जंतुओं के साथ ऋषि को भी देखा । जब मछुआरों ने ऋषि को देखा, तो हाथ जोड़कर उनसे माफी मांगने लगे । पर ऋषि ने कहा कि इन जीवो को छोड़ दो, तभी मैं भी जीवित रह पाऊंगा । यह बात राजा नहुष तक पहुंची । राजा ऋषि के प्रताप से परिचित थे । वह दौड़े-दौड़े…

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