गणेश जयंती यानी तिल चतुर्थी पर गणपति को प्रसन्न कर, करे दोषों का निवारण

गणेश जयंती यानी तिल चतुर्थी । माघ मास की इस तिथि को भगवान श्री कृष्ण ने उपवास रखकर अपने ऊपर लगे आरोप के दोष से मुक्ति पाई थी।

गणेश जयंती । माघ महीने की शुक्ल पक्ष चतुर्दशी के रूप में जानी जाने वाली यह तिथि कई प्रदेशों में महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे तेल चतुर्थी भी कहा जाता है। गणेश भगवान हमारे प्रथम पूज्य देवी नहीं हैं, बल्कि वह तो जीवन के हर क्षण में रचने-बसने वाले देवता कहे जाते हैं। इनकी पूजा करने से भक्तों को कोई भी विघ्न बाधाएं तंग नहीं करती और साथ ही साथ उन्हें हर कदम पर सफलता भी मिलती है।

गणेश जयंती के संबंध में एक कथा भी प्रचलित है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण पर चोरी का आरोप लगा था और उस दोष मुक्ति के लिए इन्होने इसी दिन उपवास व गणेश भगवान का पूजन किया था। तत्पश्चात वह दोषमुक्त हो गए थे। आज भी गणेश जी की दूसरी आराधनाओ की तरह इस चतुर्दशी का भी महत्व है। इसे तिल चतुर्थी, वरद चतुर्थी, विनायक चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है। गणेश जयंती के दिन यदि पूरी श्रद्धा भक्ति और आस्था से इनका व्रत पूजन किया जाए, तो उपासको का हर मनोरथ सिद्ध होता है। इस दिन भक्त सिंदूर और हल्दी का उपयोग करते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं। यह उनका सबसे लुभावना स्वरूप है। गणेश जी की पूजा के लिए सारी पूजन सामग्रियों के अलावा, तिल से बने खाद्य पदार्थों का विशेष महत्व होता है। तिल चतुर्थी के दिन शरीर पर तिल लगाकर स्नान करने तथा स्नान के पानी में तिल मिलाकर उससे स्नान करने का भी विधान है। कुछ लोग इस दिन उपवास रखते हैं और सायं काल पूजन के पश्चात भोजन ग्रहण करते हैं। इसके बाद पूजन कार्य संपन्न करते हैं।

माघ मास में पड़ने वाली इस चतुर्थी को शांता तिथि भी कहा जाता है ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यदि पूरे विधि विधान से गणेश जी की आराधना की जाए, तो भक्तों को इसका 1000 गुना ज्यादा फल मिलता है और उन्हें अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। इस दिन नमक और गुण तथा हरी सब्जियां दान करने का भी विधान है। गणेश जी की अनुकूलता यदि प्राप्त हो गई, तो भक्ति के लिए सारा जीवन सरल हो जाता है। जिस किसी पर एकदंत भगवान गणपति संतुष्ट होते हैं, उस पर देवता, पितर और मनुष्य सभी प्रसन्न होते हैं। इसलिए संपूर्ण विघ्नों को दूर करने के साथ-साथ सकारात्मक फल प्राप्त करने के लिए गणपति की आराधना करनी चाहिए। कई प्रदेशों में संतानोत्पत्ति के मनोरथ को सिद्ध करने के लिए भी इस दिन गणपति की आराधना की जाती है। इस दिन उपासको को “ॐ गं गणपतये नमः” इस गणेश मंत्र का एक माला 1008 बार जप अवश्य करना चाहिए। या फिर गणेश स्त्रोत का भी जाप कर सकते हैं। इनकी पूजा से भक्तों को जीवन में लोकप्रियता और संपन्नता की प्राप्ति होती है।

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