शुभ भूमि और अशुभ भूमि पहचाने उस पर लगे वृक्षों के आधार पर

शुभ भूमि और अशुभ भूमि पहचाने उस पर लगे वृक्षों के आधार पर

भूमि की शुभता और अशुभता पहचाने उस पर लगे पेड़ के आधार पर

आपका घर जिस भूमि पर बना हो, यदि उस पर कुछ ऐसे वृक्ष लगे हो, जिनका प्रभाव शुभ रहता है, तो भूमि घर के सदस्यों की भाग्य वृद्धि भी कर सकती है ।

प्राचीन शास्त्रों में बताया गया है कि जिस तरह की भूमि होती है, उसका फल भी वैसा होता है । ठीक उसी तरह यह भी कहा गया है कि भूमि की शुभता एवं अशुभता में उस पर लगे पेड़ भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं । इसी का प्रभाव उस जमीन पर निवास करने वाले लोगों पर पड़ता है

लाभप्रद भूमि:-

*जिस भूमि पर आंवले के वृक्ष लगे हों, उस भूमि पर बने घर में रहने वालों को आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है । इसके साथ ही वहां सदैव लक्ष्मी का वास होता है ।

*इसी तरह जिस भूमि पर अशोक के वृक्ष होते हैं, वहां पर निवास करने से शोक व स्त्रियों की प्रजनन संबंधी बीमारियां दूर होती हैं ।

*जिस भूमि पर शाल के वृक्ष हों, उस पर बने घर में धन-संपत्ति की कभी कमी नहीं होती तथा उसमें रहने वाले लोगों का कल्याण होता है ।

*जिस जमीन पर आपका घर बना है, उस पर पहले यदि अरणी के पेड़ लगे हो, तो उसमें रहने वाले लोगों को राज्य से तथा अन्य स्रोतों से अतुल धन की प्राप्ति होती है ।

*अगर जमीन पर पहले रंगुदी के वृक्ष लगे हों, तो उस घर के सभी सदस्यों के बीच में हमेशा प्रेम भाव बना रहता है ।

हानिकारक भूमि:-

शास्त्रों में लाभप्रद भूमि की तरह ही, हानिकारक भूमि का भी वर्णन किया गया है ।

*जिस भूमि पर कत्था के वृक्षों हों, वहां घर बना कर रहने से स्त्रियों को क्षय रोग हो सकता है ।

*जिस भूमि पर पलाश के वृक्ष हों, वहां घर बनाकर रहने से परिवार के सदस्यों का जीवन क्लेशयुक्त हो सकता है ।

*जिस भूमि पर महुए के वृक्ष हों, उस पर बने घर में रहने वालों को अनेक प्रकार के रोग होने की आशंका बानी रहती है ।

*अगर भूमि पर गूलर के वृक्ष हों, तो उस पर बने घर में रहने वाले या तो नि:संतान रह सकते हैं या ऐसा ही कष्ट उन्हें हो सकता है ।

*वैसे तो केले का वृक्ष पूजन के योग्य माना जाता है । पर यदि भूमि पर केले के वृक्ष रहे हों तो वहां घर बना कर रहने वाले परिवार के सदस्यों के बीच लड़ाई-झगड़े की आशंका बनी रहती है ।

*जिस भूमि पर बडहल, पीपल के वृक्ष हों, वहां घर बनाकर रहने से संतान को कष्ट होता है ।

*जिस भूमि पर बेर का वृक्ष हों, वहां घर बना कर रहने से पारिवारिक कलह व संतान के रोगों की आशंका होती है ।

*जिस भूमि पर कनेर का वृक्ष हों वहां पर घर बनाकर रहने से भूत-प्रेत आदि की बाधा होती है ।

*जिस भूमि पर शीशम के वृक्ष हों, वहां पर घर बनाकर रहने से अनेक प्रकार की चिंताएं, व्याधियां उत्पन्न होती हैं ।

*जिस भूमि पर ईख उगती है, वहां पर घर बनाकर रहने से वात जनित प्रकोप उत्पन्न होते हैं ।

*जिस भूमि पर हरड़ के वृक्ष हो, वहां पर घर बनाकर रहने से हमेशा शत्रु भय बना रहता है ।

*अगर घर बनाने से पहले भूमि पर आम के वृक्ष रहे हो, तो उस घर में रहने वाले लोगों की स्वभाव से उन्माद प्रवृत्ति हावी हो सकती है ।

*जिस भूमि पर शतपणी के वृक्ष हो, वहां पर घर बनाकर रहने से कुटुंब शोकाकुल हो सकता है ।

*जिस भूमि पर बेंत के वृक्ष हों, वहां पर घर बनाकर रहने से व्यक्ति के अहंकार में वृद्धि होती है ।

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