नैतिक कहानी: चूहा और गिलहरी

नैतिक कहानी: चूहा और गिलहरी

एक था चूहा और एक थी गिलहरी। चूहा शरारती था दिनभर ची ची करता हुआ मौज उड़ाता। गिलहरी भोली थी। टी टी करती हुई इधर-उधर घूमती रहती। एक दिन दोनों की मुलाकात हो गई। अपनी प्रशंसा करते हुए चूहे ने कहा, मुझे लोग मूषक राज कहते हैं। और गणेश जी की सवारी के रूप में जानते हैं। मेरे पैने-पैने हथियार सरीखे दांत लोहे के पिंजरे को तो क्या किसी भी चीज को काट सकते हैं। मासूम गिलहरी को यह बात सुनकर बड़ा बुरा लगा। बोली, भाई तुम दूसरों का नुकसान…

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