पंख फड़फड़ाती कहाँ गई नन्हीं गौरैया

Where did the sparrows Bird go

मुझे याद है कि सुबह सुबह उठकर जब नन्हीं गौरैया जिसे हम घरेलू चिड़िया के नाम से भी जानते है दाना खाने आती थी, तो मुझे बड़े आनंद की अनुभूति होती थी ऐसा लगता था कि कोई बच्चा मेरे सामने खेल रहा हो । हम लोग बचपन में सुबह उठकर सबसे पहले चिड़ियों को दाना और पानी देते थे इसके बाद ही दूसरा काम करते थे मेरे घर के आँगन में चिड़ियों के पांच से छह घोंसले हुआ करते थे हम लोग उन्हें डेली दाना डालते और पानी दिया करते थे मेरे अनुसार शहर के हर चौराहों पर बड़ी बड़ी बिल्डिंगों में चिड़ियों के खाने के लिए दाना और पीने के लिए पानी की व्यवस्था होनी चाहिए तभी हमारी चिड़िया फिर से चहचहाती हुई वापस दिखेंगी ।

हमारे घर में एक गौरैया तिनका तिनका घास इकट्ठी करके घोसला बनाने की कोशिश कर रही थी । लेकिन वो हर बार उस जगह पर तिनका रखने में नाकाम हो रही थी । सारी घास जमीन पर गिर जाया करती थी और घोसला नहीं बन पा रहा था में दो दिन से ये देख रहा था । मुझे अच्छा नहीं लग रहा था कि वो अपने अंडे रखने के लिए घोंसला नहीं बना पा रही है ।

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मेरे माइंड में एक आइडिया आया मैंने लोहे का एक गोलाकार तार घोंसला बनाने की जगह पर फ़सा दिया जिससे गौरैया ने आसानी से घोंसला बना लिया ।

कुछ दिन के बाद मैंने उस घोसले में छोटे छोटे गौरैया के बच्चो को ची ची करते हुए सुना। तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा अब नन्ही गौरैया का जोड़ा हर साल उसी जगह पर आज भी अपना घोंसला बनाता है । और अपने बच्चों को बड़ा करता है ।

इस तरह मैंने गौरैया पक्षी की संख्या बढ़ाने के लिए एक कदम उठाया । अगर आप सब लोग भी मिलकर गौरैया चिड़िया को लुप्त होने से बचाने के लिए इसी तरह से कदम उठाएंगे तो आज भी गौरैया की चहचहाहट हमारे आंगन में गूंजती रहेगी।

अगर आप लोग हमारे इस मिशन के साथ है तो प्लीज एक कमेंट जरूर करे और अपने विचार नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे ।

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4 Thoughts to “पंख फड़फड़ाती कहाँ गई नन्हीं गौरैया”

  1. motaNill

    Excelente Post

  2. Duaparce

    I have read so many posts on the topic of the blogger lovers except this article is truly a nice post, keep it up.

  3. Neeraj Srivastava

    आपने सही कहा है विवेक जी गौरिया जैसे अनेक पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है । पर्यावरण प्रदूषण के कारण अनेक खतरे उत्पन्न हो गए है । यदि इसको कंट्रोल नही किया गया तो यह मानव जीवन के लिए भी घातक है ।

    नीरज श्रीवास्तव
    http://www.janjagrannews.com

    1. hindigarima

      Thank you Neeraj ji

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