A Moral Story in hindi एक शहर में राजू का सबसे खास दोस्त विनोद था । विनोद थोड़ा अमीर था और उसे जेब खर्च के रूप में काफी पैसे मिलते थे । राजू की माँ एक फैक्ट्री में काम करती थी और उसी की कमाई से उनका घर चलता था । ऐसे में राजू को सीमित जेब खर्च ही मिल पता था । वह अक्सर अपनी माँ से शिकायत करता , ‘माँ मुझे भी दूसरे बच्चो की तरह खिलोने चाहिए । आप मुझे पैसे क्यों नहीं देती ?’ राजू…
Read MoreMotivational Stories in hindi for success
(1) पारंगत होने का एक ही उपाय है -लक्ष्य में तन्मय हो जाना एक लोहार बढ़िया बाण बनाने के लिए प्रसिद्ध था । अपनी प्रवीणता में उसे ख्याति प्राप्त थी । एक दूसरा लोहार बालक वैसे ही बाण बनाने की विद्या सीखने के लिए उनके पास पहुँचा । कुछ दिन रहा भी । एक दिन धूमधाम से बारात सामने निकल रही थी । बाजे बज रहे थे । लोहार ने अपनी तन्मयता में तनिक भी अंतर न आने दिया । पर वह सीखने वाला लड़का बारात देखने चला गया ।…
Read Moreमंत्र जप करने का सही समय क्रम
जानें, मंत्र जप की गणना कैसे करें जप की सामान्य गड़ना के अनुसार एक समय सरणी तैयार की गई है । मंत्र जप करते समय हम इस सरणी से के अनुसार हम यह ज्ञात कर सकते है कि हमारी निर्धारित जप संख्या कितने समय में पूरी कर सकते है । इस लिए यह जप का समय क्रम साधक लिए बहुत उपयोगी है । बैखरी, उपांशु, मानसिक तीनो प्रकार का जप निम्न प्रकार निर्धरित किया गया है । जप का समय क्रम संख्या मंत्र प्रति मिनट की गति जप की संख्या…
Read Moreअजामिल : नरक के भागी अजामिल को कैसे मिला मोक्ष
अजामिल एक ब्राह्मण का पुत्र था । वह बड़ा कर्तव्यपरायण, पुण्यात्मा, विनयशील, सत्यवादी और वैदिक क्रियाकलापों को नियमपूर्वक नित्य करता था । एक दिन पिता की आज्ञानुसार वह पूजन के लिए फल, फूल, समिधा और कुश लाने जंगल में गया । लौटते समय दस्यु कन्या के साथ उसे रास्ते में एक शूद्र मिला । बहुत रोकने पर भी अजामिल दस्यु काम्य पर मोहित हो गया । उस दस्यु कन्या को पानी के लिए उसने अपनी सारी पैतृक संपत्ति खर्च कर डाली और अंत में अपनी विवाहित स्त्री को छोड़ कर…
Read Moreभक्त ध्रुव की ध्रुव तारा बनने की पौराणिक कथा
भक्त ध्रुव की पौराणिक कथा राजर्षि मनु के पुत्र उत्तानपाद की दो स्त्रियाँ थी, सुरुचि और सुनीति । सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम था और सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव । एक दिन उत्तम अपने पिता उत्तानपाद की गोद में बैठे थे । इतने में ध्रुव भी पिता के पास आये और उनकी गोद में बैठना चाहा । उत्तम की माता सुरुचि के डर से उत्तानपाद ने ध्रुव को गोद में उठाने के लिए हाथ तक न बढ़ाया और सुरुचि ने तो ध्रुव को ताना मारा ।…
Read Moreबीजाक्षर मंत्रों के विषय में
बीज अक्षर बड़े शक्तिशाली होते है । प्रत्येक देवता का अलग बीज अक्षर होता है । क्रीं भगवान श्री कृष्ण का बीज अक्षर है । बंगाल के लोग इसका उच्चारण क्लोंड. और मद्रास के लोग क्लीम करते है । रां श्री राम चंद्र जी का बीज अक्षर है । ऐं सरस्वती जी का बीज अक्षर है । क्रीं काली जी का , गं गणेश जी का स्वं कार्तिकेय का, हौम भगवान शंकर का, श्रीं माता लक्ष्मी जी का, डुं माता दुर्गा का, ह्रीं माया का, इसी को तांत्रिक प्रणव भी…
Read Moreप्रतिदिन की ईश्वर साधना के लिए आवश्यक नियम
मंत्र जप के लिए आवश्यक नियम (1.) कोई भी मंत्र अथवा ईश्वर का नाम चुन लो और उसका नित्य प्रति १०८ से १ ०८० बार तक जप करो, अर्थात् एक माला से लेकर दस माला तक । अच्छा हैं कि यह मंत्र अपने गुरूमुख से लो । (2.) १०८ दानों की रुद्राक्ष अथवा तुलसी माला का प्रयोग करों । मनको को फेरने के लिए सीधे हाथ की मध्यमा तथा अंगूठे का प्रयोग करो तर्जनी का प्रयोग निषिद्ध हैं । (3.) माला को नाभि से नीचे नहीं लटकने देना चाहिए ।…
Read Moreजप द्वारा सिद्ध हुए महात्मा गण
तुलसीदास, रामदास, कबीर, मीराबाई, बिल्लवमंगल (सूरदास), गौरांग प्रभु, गुजरात में नरसिंह महेता अदि अनेक महात्मो को जप और अनन्य भक्ति द्वारा ही, भगवतदर्शन हुए थे ! जैसे इनको सफलता मिली वैसे ही हे मित्रो आपको मिल सकती है । जो गाना जानते हो वे लय के साथ मन्त्र का गान करे । मन इससे शीघ्र ही उन्नत पहुँच जायगा । जैसे रामप्रसाद बंगाली ने एकान्त में बैठकर भगवान के नाम का गान किया था वैसे ही बैठ कर आप भी गावें । गाते गाते भाव समाधि आ जाएगी । जम्टिस…
Read Moreसाधना प्रकरण में जप की संख्या का महत्व
प्रत्येक व्यक्ति अनजाने में ही सोअहं मन्त्र २४ घंटो २२६०० बार जपता है । तुम्हे ऐसी प्रत्येक श्वास के साथ अपना इष्ट मंत्र कहना चाहिए । बस फिर क्या, तुम्हारी मन्त्र-शक्ति खूब बढ़ जाएगी और तुम्हारा मनशुद्ध हो जाएगा । तुम्हे जप संख्या २०० से लेकर 500 माला तक प्रतिदिन बढानी चाहिए । जैसे तुम दो बार भोजन करने के लिए उत्सुक रहते हो वैसे ही दिन में चार बार जप करने क लिए भी उत्सुक रहना चाहिए । मृत्यु किसी भी समय आ सकती है ओऱ उसका आगमन असूचित…
Read Moreलिखित जप के लाभ । Benefits of likhita japa in hindi
जानें, लिखित जप किसे कहते है और उसके नियम व लाभ क्या है लिखित जप:-प्रतिदिन अपना गुरु मन्त्र अथवा इष्टमंत्र अपनी नोट बुक लिखने को हम लिखित जप कहते है । मनुस्मृति में जप करने के जो भिन्न-भिन्न उपाय बताए गए हैं, उनमें लिखित जप का प्रभाव सबसे अधिक होता है । लिखित जप चित्त क़ो एकाग्र करने में सहायता करता है और धीरे-धीरे साधक क़ो ध्यान की ओर अग्रसर कराता हैं । लिखित जप में प्रतिदिन अपना गुरु मन्त्र अथवा इष्टमंत्र अपनी नोट बुक में लिखो । इस अभ्यास…
Read More