संस्कृत में ‘अस्माकं देशः’ विषय पर सरल और प्रभावशाली निबंध। विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त, भारत देश की महिमा और गौरव पर आधारित। अस्माकम् देशः पर संस्कृत निबंध अस्माकम् देशः (१) भारतवर्षः अस्माकं देशः अस्ति । (२) हिमालयः अस्य देशस्यः प्रधानः पर्वतः अस्ति । (३) यः अस्य उत्तरे मुकुटमणिः इव शोभते । (४) योऽस्य देशस्य रक्षां करोति । (५) रत्नाकरः अस्य चरणौ सदा प्रक्षालयति । (६) अस्य प्राकृतिकी शोभा अनुपमा अस्ति । (७) अत्र षड् ऋतूणां सुन्दरः क्रमः अस्ति । (८) अस्मिन्नैव देशेऽनेकानि तीर्थानि सन्ति । (९) ईश्वरस्य सर्वऽवताराः…
Read Moreविद्या धनम् सर्वधनम् प्रधानम् पर संस्कृत निबंध
विद्या धनम् सर्वधनम् प्रधानम् पर संस्कृत निबंध विद्या (विद्या धनम् सर्वधनम् प्रधानम्) (१) विद्यते सदसद्ज्ञानम् अनया सा विद्या कथ्यते । (२) विद्या विनयं ददाति । (३) विनयात् पात्रता प्राप्यते । (४) पात्रत्वात् धनं प्राप्यते, धनात् धर्मः ततः च सुखं प्राप्यते । (५) विद्या व्यये कृते वर्धते । (६) विद्यां चौरः न चौरयति । (७) विद्यां राजा न हरति । (८) विद्यां भ्राता न विभाज्यते । (६) विद्याः बुद्धेः मूर्खताम् हरति । (१०) अतः विद्या धनं सर्वश्रेष्ठं कथ्यते । हिन्दी अनुवाद विद्या (विद्या धन सभी धनों में प्रमुख है)…
Read Moreहिंदी मुहावरे और अर्थ – Hindi Muhavare with Meanings
हिंदी मुहावरे व लोकोक्तियाँ एक वाक्य या वाक्यांश होते हैं, जो एक विशेष अर्थ समझाने के लिए उपयोग किये जाते हैं। ये वाक्य या वाक्यांश ज्यादातर संगठित नहीं होते हैं और लोगों की भाषा में आमतौर पर उपयोग किये जाने वाले विशेष शब्दों का समूह होते हैं। लोकोक्तियाँ और मुहावरों का उपयोग बोली जाने वाली भाषाओं में देखा जाता है, जैसे हिंदी, उर्दू, पंजाबी, गुजराती, मराठी, बंगाली आदि। ये बोली की सामान्य जीवन की घटनाओं और दृष्टिकोणों से उत्पन्न होते हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। इन्हें…
Read Moreसूरदास के पद की हिंदी व्याख्या और अर्थ । Surdas ke pad explanation
सूरदास, भारतीय साहित्य के महान कवि और संत थे। उन्होंने भारतीय साहित्य को अपने अद्वितीय काव्य और भक्ति गीतों के माध्यम से विशेष रूप से उच्चतम स्तर तक पहुंचाया। सूरदास की काव्य रचनाएँ अद्वितीय हैं और उन्होंने भक्ति और प्रेम के सच्चे भाव को अद्वितीय ढंग से व्यक्त किया। उनकी रचनाएँ विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी प्रमुख रचना हिंदी और ब्रज भाषा में है। उनकी प्रमुख रचनाएँ में “सूरसागर”, “सूरसारवाली”, “साहित्यलहरी” आदि शामिल हैं। सूरदास ने अपने जीवन के अधिकांश समय को भक्ति में लगा दिया और भगवान…
Read MoreCounting in Sanskrit 1 to 100 – संस्कृत में गिनती – Sanskrit Numbers 1 to 100
संस्कृत में गिनती (संख्यावाचक शब्द) संस्कृत भाषा सिर्फ़ भारत की प्राचीन भाषा ही नहीं, बल्कि विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा मानी जाती है। इसके शब्दों की रचना, उच्चारण और व्याकरण इतने सटीक हैं कि आज भी आधुनिक विज्ञान इसकी प्रशंसा करता है। इसी श्रृंखला में आज हम बात करेंगे – संस्कृत में गिनती (Counting in Sanskrit) की। गिनती क्यों जानना ज़रूरी है? संस्कृत साहित्य, वेद, श्लोक, और मंत्रों में संख्याओं का व्यापक उपयोग होता है। यदि आप संस्कृत पढ़ना, बोलना या समझना चाहते हैं, तो संस्कृत संख्यावाचक शब्द (Numerals) को…
Read More50 कबीर दास के लोकप्रिय दोहे । Kabir Das Ke Dohe with Meaning in Hindi
कबीर दास के लोकप्रिय दोहे । Kabir Das Ke Dohe with Meaning in Hindi संत कबीर एक महान संत थे जो 15 वीं शताब्दी में जन्मे थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म के बारे में अपने दृष्टिकोण और सिद्धांतों के माध्यम से लोगों को प्रभावित किया। कबीर एक संत थे, जिन्होंने दो धर्मों, यानी हिंदू और मुस्लिम धर्मों को एक समान माना था। उनकी रचनाओं में उन्होंने सामाजिक और धार्मिक समस्याओं को उठाया और लोगों को सत्य की तलाश करने के लिए प्रेरित किया। कबीर की रचनाएं हिंदी और अवधी…
Read Moreसंस्कृत उपसर्ग: परिभाषा, अर्थ, उदाहरण और सूची
संस्कृत उपसर्ग परिभाषा: जो शब्द किसी शब्द के पहले आकर उसके अर्थ में विशेषता पैदा कर देते हैं अथवा उसका अर्थ ही बदल देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं; जैसे- “हार = माला” यदि उसके पहले ‘प्र’ जोड़ दिया जाये तो इसका अर्थ मारना हो जायेगा, ‘आ’ जोड़ देने से इसका अर्थ ‘भोजन’ करना हो जायेगा । इन्हीं उपसर्गों के इस परिवर्तन के लिए इस श्लोक को कण्ठस्थ कर लेना चाहिए- उपसर्गेण धात्वर्थो वलादन्यत्र नीयते। प्रहाराहारसंहारबिहारपरिहारवत् ।। अर्थ-उपसर्ग से किसी धातु का अर्थ बलपूर्वक कहीं का कहीं ले जाया जाता…
Read Moreसंस्कृत में अव्यय : परिभाषा, अर्थ एवं उदाहरण- Avyay In Sanskrit
संस्कृत अव्यय की परिभाषा एवं अर्थ जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक आदि से कभी भी कोई परिवर्तन नहीं होता है, वे अव्यय शब्द कहे जाते हैं। सदृशं त्रिषु लिंगेषु सर्वासु च विभक्तिषु। वचनेषु च सर्वेषु यत्रास्ति तदव्ययम् ।। जो तीनों लिंगों (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग), सभी विभक्तियों (प्रथमा से सप्तमी) सब वचनों (एकवचन, द्विवचन, बहुवचन) के अनुसार घटे-बढ़े नहीं, वह अव्यय है। अतएव अनुवाद करते समय इनके रूप नहीं चलाने पड़ते। वे वाक्य में ज्यों के त्यों रख दिये जाते हैं। कुछ उपयोगी अव्यय नीचे लिखे जा रहे हैं- संस्कृत…
Read Moreसंस्कृत शब्द रूप – परिभाषा, प्रकार और उदाहरण । Shabd Roop in Sanskrit
संस्कृत में शब्द रूप हिन्दी की तरह संस्कृत में भी शब्दों को निम्न प्रकार से पाँच भागों में बाँटा जा सकता है- (१) संज्ञा, (२) सर्वनाम (३) विशेषण (४) क्रिया एवं (५) अव्यय । संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण में लिंग तथा वचन के कारण तथा क्रिया में काल, पुरुष तथा वचन के कारण रूप परिवर्तन होता है, किन्तु अव्ययों में कभी परिवर्तन नहीं होता है। प्रस्तुत प्रकरण में हम इन सबका संक्षेप में वर्णन करेंगे । सब्द रूप को समझने से पहले हमें संस्कृत में लिंग, वचन, पुरुष अदि के…
Read Moreविलोम शब्द संस्कृत में – Vilom Shabd In Sanskrit
विलोम शब्द संस्कृत में – संस्कृत के विलोम शब्द संस्कृत विलोम शब्द विलोम शब्द की परिभाषा विपरीतार्थक (विलोम शब्द) – जो शब्द अर्थ में एक-दूसरे के पूर्णतः विपरीत होते हैं उन्हें विपरीतार्थक या विलोम शब्द कहते हैं। प्रायः भिन्न शब्दों का उपसर्ग परिवर्तन द्वारा तथा लिंग परिवर्तन द्वारा निर्माण होता है। विलोम शब्दों का उपयोग वाक्यों या पाठों में विचारों को स्पष्ट करने और उन्हें रूपांतरित करने में मदद करता है। उदाहरण के परीक्षोपयोगी कुछ विलोम शब्द यहाँ दिये जा रहे हैं– Vilom Shabd In Sanskrit [#] शब्द = …
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